गृह मंत्रालय ने आव्रजन और विदेशी (छूट) आदेश, 2025 को अधिसूचित करते हुए बताया है कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में जमीन या हवाई मार्ग से प्रवेश करने के लिए पासपोर्ट या वीज़ा प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी, जैसा कि पहले से लागू व्यवस्था में था। यह छूट दोनों देशों के साथ भारत के विशेष और पारंपरिक संबंधों को दर्शाती है।
इसके अलावा, आदेश में कुछ विशेष श्रेणियों के लोगों को भी वैध पासपोर्ट और वीज़ा की शर्तों से छूट दी गई है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यकों को शामिल किया गया है, जो धार्मिक उत्पीड़न या उसके डर के कारण भारत में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं।
यदि ऐसे व्यक्ति बिना वैध यात्रा दस्तावेज़ों के 31 दिसंबर, 2024 या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं, या जिनके दस्तावेज़ अब अवैध हो चुके हैं, उन्हें भी पासपोर्ट और वीज़ा की अनिवार्यता से छूट प्रदान की जाएगी।
यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा मानवीय आधार पर शरण देने की नीति के अनुरूप है और विशेषकर उन लोगों को राहत देता है जो धार्मिक आधार पर अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं।