भारत ने ईरान के रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और व्यापार के लिहाज़ से एक प्रमुख केंद्र मानते हुए इस पर अपना ध्यान और तेज़ किया है। इसी कड़ी में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने अपने ईरानी समकक्ष अली अकबर अहमदियन से फोन पर बातचीत की, जिसमें चाबहार परियोजना, क्षेत्रीय विकास और सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
चाबहार बंदरगाह, खासकर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल, ओमान की खाड़ी में स्थित है और इसे भारत के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार माना जाता है जो पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुँच प्रदान करता है।
भारत ने मई 2024 में ईरान के साथ एक 10-वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत भारत को इस बंदरगाह के कार्गो और कंटेनर टर्मिनलों को सुसज्जित करने और संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
जहाजरानी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 से अब तक चाबहार के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं, जिनमें से 201.51 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में बंदरगाह पर जहाज यातायात में 43% और कंटेनर यातायात में 34% की वृद्धि दर्ज की गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि चाबहार का महत्व और बढ़ गया है क्योंकि चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में कर्ज़ और सुरक्षा चिंताओं के चलते निवेश घटा रहा है। इसके तहत आने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) भी प्रभावित हो रहा है, जिससे पाकिस्तान की भूमिका ईरान और भारत के बीच चल रही पारगमन वार्ता में कमजोर हो सकती है।