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WHO ने पारंपरिक चिकित्सा में AI एकीकरण में भारत की अग्रणी भूमिका को दी मान्यता

Date : 13-Jul-2025

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, विशेषकर आयुष (आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के एकीकरण में भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना की है। अपनी पहली तकनीकी रिपोर्ट "पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मानचित्रण" में WHO ने भारत द्वारा किए जा रहे अभिनव प्रयोगों और डिजिटल पहलों को विस्तार से रेखांकित किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत नाड़ी परीक्षण, प्रकृति आकलन, और हर्बल चिकित्सा जैसी पारंपरिक विधियों को मशीन लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क जैसे AI तकनीकों से जोड़ रहा है। यह एकीकरण न केवल निदान की सटीकता बढ़ा रहा है, बल्कि व्यक्तिगत और निवारक देखभाल को भी सशक्त बना रहा है।

WHO ने भारत की आयुर्जेनोमिक्स पहल की भी सराहना की, जो आयुर्वेदिक सिद्धांतों को जीनोमिक विज्ञान के साथ जोड़कर रोगों की पहचान और स्वास्थ्य सुझावों के लिए AI का उपयोग कर रही है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल पुस्तकालय (TKDL) को वैश्विक स्तर पर स्वदेशी चिकित्सा विरासत के संरक्षण के मॉडल के रूप में मान्यता दी गई है।

AI से संचालित उपकरण प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलीकरण, व्याख्या और विश्लेषण को सरल बना रहे हैं, जिससे पारंपरिक चिकित्सीय ज्ञान आम जनता और शोधकर्ताओं के लिए अधिक सुलभ हो रहा है। रिपोर्ट में भारत द्वारा विकसित कृत्रिम रासायनिक सेंसर, औषधीय योगों के मूल्यांकन, और परंपरागत औषधियों के आधुनिकीकरण में AI के उपयोग को भी विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है।

WHO ने भारत के डिजिटल प्रयासों की सराहना की, जिनमें शामिल हैं:

  • SAHI पोर्टल – स्वास्थ्य संकेतकों का विश्लेषण

  • NAMASTE पोर्टल – पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं के लिए अंतर-संचालनीयता मंच

  • आयुष अनुसंधान पोर्टल – साक्ष्य आधारित अनुसंधान को बढ़ावा

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत का आयुष क्षेत्र अब $43.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार आकार तक पहुँच चुका है, जो देश के आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशन में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने WHO की मान्यता को भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया, जिसमें तकनीक के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य है।

आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुष ग्रिड जैसे डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफार्मों ने भारत के AI-संचालित नवाचारों को सशक्त बनाया है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास न केवल पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कर रहे हैं, बल्कि उसे आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ जोड़ने का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।

यह मान्यता भारत की उस नीति दृष्टि को बल देती है जो AI और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय से व्यक्तिगत, सुलभ और भविष्य उन्मुख स्वास्थ्य देखभाल की ओर अग्रसर है।

 
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