हरिद्वार, 23 जुलाई । श्रावण मास की शिवरात्रि पर शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का बहुविधि पूजन-अर्चन व अभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। इसी के साथ 11 जुलाई से चला आ रहा कांवड़ मेला भी सकुशल सम्पन्न हो गया। शिवालयों में भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी, साथ बम निरोधक दस्ता भी तैनात किया गया था। भोर सुबह से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला दिन भर अनवरत जारी रहा।
सावन की शिवरात्रि पर तीर्थनगरी बम-बम भोले के जयघोष से गूंजायमान रही। शिव शंकर की ससुराल दक्षेश्वर महादेव का नजारा देखने लायक है। भगवान शंकर की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सावन की शिवरात्रि पर देर रात्रि से ही भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा था। जलाभिषेक और पूजा अर्चना के लिए लंबी कतारें लग गयी थी। बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे सभी अपने आराध्य का दर्शन-अर्चन करने के लिए पहुंचे।
मान्यता है कि सावन के माह भगवान शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति में ही निवास करते हैं। इस दौरान जो भी यहां पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं श्री विल्वकेश्वर महादेव मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान का जलाभिषेक किया। विल्वकेश्वर महादेव वही स्थान है, जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्ष तपस्या की थी।
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी के मुताबिक सावन की शिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ की निकटता प्राप्त होती है। उनकी प्रसन्नता प्राप्त होती है। यही वह मास है जिसमें माता सती की पूरी तपस्या का फल भगवान शंकर ने लिंग रूप में प्रकट होकर के दिया। उनको वरदान दिया था, विवाह के लिए स्वीकारोक्ति दे दी थी। तब भगवान का माता सती से विवाह हुआ था।
श्री दक्षेश्वर महादेव मंदिर के श्री महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि आज के दिन हमें भगवान शंकर को अभिषेक करना चाहिए। हमारे यहां मान्यता है भगवान शंकर की नाना प्रकार से पूजा होती है, शिवरात्रि पर जलाभिषेक किया जाता है। शिव आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इनके अतिरिक्त दरिद्रभंजन, दुःखभंजन, तिलभाण्डेश्वर, गौरी शंकर, नीलेश्वर, जनमासा मंदिर समेत तीर्थनगरी के सभी प्रमुख शिवालयों में भक्तों की खासी भीड़ रही।