नई दिल्ली, 23 जुलाई । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में समाज और श्रम बाजार पर नई टेक्नोलॉजी के प्रभाव का आकलन जरूरी है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के जीवन पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव को लेकर विचार करना चाहिए। मजदूरों का दुःख समाज का दुःख है। टेक्नोलॉजी मनुष्य का स्वभाव रूखा बनाती है और परिश्रम की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न भी लगाती है। इन सब बातों पर विचार जरूरी है। डॉ. भागवत ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) की 70वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में कहा कि बीएमएस को बड़ा बनाना है। देश के वातावरण में परिवर्तन लाने के साथ-साथ दुनिया के वातावरण में भी बदलाव लाना अपना काम है। संगठन की प्रतिष्ठा बढ़ती है, तो संगठन यशस्वी होता है, कार्यकर्ताओं का मान बढ़ता है। भारतीय मजदूर संघ सिर्फ अपना झंडा खड़ा करने के लिए नहीं, बल्कि श्रमिकों के लिए बनाया गया था।इस अवसर पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, "दुनियाभर में अलग-अलग संगठनों के काम करने के अपने-अपने तरीके हैं, लेकिन भारतीय मजदूर संघ अनोखा है। यह भारतीय श्रमिकों, भारतीय लोगों और भारतीय जीवन शैली के आधार पर श्रम क्षेत्र में काम करता है। इसने एक विशिष्ट कार्यशैली और प्रणाली विकसित की है।"बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिरन्मय पंड्याजी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने बताया कि भारतीय मजदूर संघ की यात्रा 23 जुलाई 1955 को भोपाल में शुरू हुई थी। बीएमएस ने अपनी स्थापना का 70वां वर्षगाठ मनाने की शुरुआत भोपाल से की थी, जिसका समापन आज हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ ने अपनी भूमिका केवल यहीं तक सीमित नहीं रखी है। इसकी बजाय समाज और विश्व के कल्याण के व्यापक उपाय जैसे पर्यावरण, सामाजिक समरसता एवं स्वदेशी भी उनके प्रमुख लक्ष्यों में से एक है।कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, कॉर्पोरेट मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के भारत निदेशक मिचिको मियामोतो, संघ के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष समेत कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।