"प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति है" – डॉ. वर्णिका शर्मा
"हरियाली से खुशियाली है, खुशियाली से हरियाली ही हरेली है" – डॉ. शर्मा
भिलाई, 28 जुलाई 2025 |
गीत वितान कला केंद्र, भिलाई द्वारा महात्मा गांधी कला मंदिर, सिविक सेंटर में लोकपर्व हरेली एवं वर्ष मंगल के शुभ अवसर पर एक भव्य संगीतमय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ. वर्णिका शर्मा, जिन्होंने अपने वक्तव्य और उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
"एक पेड़ मां के नाम" अभियान से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत पौधारोपण से की गई। इसके पश्चात पारंपरिक ढंग से खेतीहर औजारों और हल की पूजा की गई, जिसने छत्तीसगढ़ की समृद्ध ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं की सुंदर झलक प्रस्तुत की।
लोक कलाकारों का सम्मान
इस खास अवसर पर छत्तीसगढ़ की विविध लोक कलाओं को समर्पित कलाकारों को सम्मानित किया गया, जिनमें विश्वविख्यात पंथी नर्तक पद्मश्री तेजराम बारले, प्रसिद्ध ढोला-मारू लोक गायिका रजनी रजक, और लोक गायन के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने वाले रिखी जलशत्री शामिल रहे। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी और बांग्ला लोक संस्कृतियों का अद्भुत समागम देखने को मिला।
वीर शहीद के परिवार को सम्मान
गीत वितान कला केंद्र द्वारा शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव पांडेय जी की माता श्रीमती को भी मंच पर सम्मानित किया गया, जिससे कार्यक्रम में राष्ट्रभक्ति और संवेदनशीलता का भाव भी जुड़ गया।
मुख्य अतिथि का प्रेरणादायक संदेश
डॉ. वर्णिका शर्मा ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा:
"भिलाई केवल इस्पात नगरी नहीं, बल्कि संस्कृति और सृजन की नगरी भी है। यहाँ आकर स्वयं ही ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है। हरेली का पर्व केवल हरियाली का नहीं, बल्कि खुशहाली और जीवन की पुनर्संवेदना का प्रतीक है।"
उन्होंने समस्त प्रदेशवासियों को हरेली तिहार की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और आयोजन समिति को इस शानदार आयोजन के लिए बधाई दी।
गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें सांसद श्री विजय बघेल, दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर, दुर्ग महापौर श्रीमती अलका बाघमार, तथा ग्रामोद्योग बोर्ड अध्यक्ष श्री राकेश पांडेय शामिल थे।
यह आयोजन छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, परंपरा, और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण बना, जो हर साल और भी व्यापक रूप लेता जा रहा है।