विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह के प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए, मंत्री महोदय ने बताया कि निसार मिशन 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित होने वाला है।
उन्होंने कहा कि निसार न केवल भारत और अमेरिका की सेवा करेगा, बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए, विशेष रूप से आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु निगरानी जैसे क्षेत्रों में, महत्वपूर्ण डेटा भी उपलब्ध कराएगा। डॉ. सिंह ने कहा कि यह मिशन एक ऐसा क्षण है जो इस बात का प्रतीक है कि विज्ञान और वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दो लोकतंत्र मिलकर क्या हासिल कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है जिसमें भारत को 'विश्व बंधु' बनाने का लक्ष्य है - एक ऐसा वैश्विक साझेदार जो मानवता के सामूहिक कल्याण में योगदान दे।
निसार मिशन दोनों एजेंसियों की तकनीकी विशेषज्ञता का संयोजन करता है। नासा ने एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर), एक उच्च-गति दूरसंचार उपप्रणाली, जीपीएस रिसीवर और एक तैनात करने योग्य 12-मीटर का अनफ़र्लेबल एंटीना प्रदान किया है। इसरो ने अपनी ओर से एस-बैंड एसएआर पेलोड, दोनों पेलोड को समायोजित करने के लिए अंतरिक्ष यान बस, जीएसएलवी-एफ16 प्रक्षेपण यान और सभी संबंधित प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान की हैं। उपग्रह का वजन 2,392 किलोग्राम है और इसे सूर्य-समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिससे हर 12 दिनों में पृथ्वी की पूरी भूमि और बर्फ की सतहों की बार-बार तस्वीरें ली जा सकेंगी।