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सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

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शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का परीक्षण, 475 किमी. दूर था निशाना

Date : 28-Jul-2025

भारत ने सोमवार को सुबह 9:35 बजे ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल की परीक्षण रेंज 475 किलोमीटर तक थी। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 500 किमी. तक है। इस मिसाइल को पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर तैनात किये जाने की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है। मिसाइल की जद में पाकिस्तान के कई प्रमुख एयरबेस और महत्वपूर्ण चीनी ठिकाने आएंगे।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नई पीढ़ी की सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल 'प्रलय' का उड़ान परीक्षण ओडिशा तट के कलाम द्वीप से किया। बैलिस्टिक मिसाइल ने 475 किलोमीटर तक की रेंज में अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया। इस दौरान कई उपकरणों के जरिए तट रेखा से इसके प्रक्षेपण की निगरानी की गई। मिसाइल ने उच्च डिग्री की सटीकता के साथ निर्दिष्ट लक्ष्य को निशाना बनाया। मिसाइल की सभी उप-प्रणालियों ने भी संतोषजनक प्रदर्शन किया। सभी सेंसर ने मिसाइल प्रक्षेपवक्र को ट्रैक करके सभी घटनाओं को कैप्चर किया। मिसाइल को उच्च-स्तरीय दुश्मन ठिकानों, जैसे हवाई अड्डे, आपूर्ति डिपो और सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले के लिए डि​जाइन किया गया है।

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की मारक क्षमता को बड़ा बढ़ावा देते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनाती के लिए 'प्रलय' बैलिस्टिक मिसाइलों की एक रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दे दी है। चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तैनाती करने के लिए यह भारतीय सेना के लिए एक बड़ा निर्णय है, क्योंकि प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल 150-500 किलोमीटर के बीच लक्ष्य को मार सकती है।मिसाइल में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता है। सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल 500-1000 किलोग्राम का भार वहन करने में सक्षम है। इसे मोबाइल लॉन्चर से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसकी तैनाती का उद्देश्य पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) दोनों सीमाओं पर विश्वसनीय प्रतिरोध और त्वरित पारंपरिक प्रतिक्रिया प्रदान करना है।

इस मिसाइल की जद में पाकिस्तान के मुशफ, नूर खान, रफीकी और मसरूर एयरबेस के साथ-साथ शिनजियांग में महत्वपूर्ण चीनी ठिकाने आएंगे।मिसाइल को पहले भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा, जिसके बाद भारतीय सेना में शामिल किए जाने की संभावना है। इस मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल लंबी दूरी की दुश्मन वायु रक्षा प्रणालियों और अन्य उच्च-मूल्य वाले मिसाइलों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। इन मिसाइलों को सशस्त्र बलों में शामिल करने के प्रस्ताव को ऐसे समय में मंजूरी दी गई है, जब भारत अपनी रॉकेट फोर्स बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जो लंबी दूरी से दुश्मन के ठिकानों को मार गिरा सके। चीनी सेना के पास पहले से ही रॉकेट फोर्स है। भारत इस बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' को भी अपनी रॉकेट फोर्स में भी शामिल करने पर विचार कर रहा है।

 
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