प्रधानमंत्री मोदी आज मुंबई में मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे, ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम की अध्यक्षता भी करेंगे | The Voice TV

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" सुशासन प्रशासन और जनता दोनों की जिम्मेदारी लेने की क्षमता पर निर्भर करता है " - नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री मोदी आज मुंबई में मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे, ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम की अध्यक्षता भी करेंगे

Date : 29-Oct-2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मुंबई में आयोजित भारत समुद्री सप्ताह 2025 में भाग लेंगे। इस दौरान वे मैरीटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे और ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम की अध्यक्षता करेंगे। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह मंच समुद्री क्षेत्र में वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और भारत के इस क्षेत्र में किए गए सुधारों को प्रदर्शित करने का एक उत्कृष्ट अवसर है।

इस अवसर पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में बीते 11 वर्षों में भारत की बंदरगाह क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत न केवल विकास की रफ्तार बनाए हुए है, बल्कि इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व भी कर रहा है।

भारत समुद्री सप्ताह 2025 के दूसरे दिन आयोजित सत्रों में बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, समुद्री सुरक्षा, अंतर्देशीय व्यापार के पुनर्जीवन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ बनाने जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। इस दौरान कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान दिया गया, जबकि स्वीडन और नॉर्वे को विशेष भागीदार देशों के रूप में शामिल किया गया।

आज नौवहन महानिदेशालय के एक विशेष स्टॉल का उद्घाटन भी किया गया, जिसमें समुद्री शिक्षा, नाविक कल्याण और नवाचार से संबंधित पहलें प्रदर्शित की गईं। कार्यक्रम के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा 1,06,300 करोड़ रुपये के छह प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर शामिल हैं। ये समझौते बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को गति देंगे।

इस बीच, तमिलनाडु स्थित वीओसी बंदरगाह को विशेष रूप से चर्चा में रखा गया। वीओसी बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष सुशांत कुमार पुरोहित ने बताया कि इस बंदरगाह को इसकी रणनीतिक स्थिति और प्रचुर पवन ऊर्जा क्षमता के कारण “भविष्य के लिए तैयार हरित बंदरगाह” के रूप में विकसित किया जा रहा है।

 
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