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भारत की संस्कृति का मतलब साथ-साथ चलना : सुनील आंबेकर

Date : 16-Nov-2025

वाराणसी, 16 नवम्बर। भारत में हर भाषा के लोग साथ रहते हैं। जब रिश्ता होता है तो एक दूसरे की चिंता हो जाती है। इसी से संस्कृति बनती है, जिससे हमारा देश बनता है। भारत की संस्कृति का मतलब साथ-साथ चलना होता है। आजकल छोटी-छोटी बातों में परिवार बिगड़ जाता है। इसके लिए संवाद जरूरी है। संवाद होना यह भी संस्कृति का हिस्सा है।

यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कही। वे रविवार को उत्तर प्रदेश के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग और विश्व संवाद केंद्र (काशी) की ओर से स्वतंत्रता भवन में आयोजित काशी शब्दोत्सव 2025 के तहत 'विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति' विषयक कार्यक्रम को संबोधित कर ​रहे थे।

मुख्य वक्ता सुनील आंबेकर ने कहा कि भारत देश की पूरी सांस्कृतिक धारा को मोड़ने का प्रयास हो रहा था, तभी पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी का चयन कर लोगों से सहयोग लेकर ज्ञान में आधुनिकता को जोड़कर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की और जिस सरस्वती को लुप्त करने की कोशिश थी, उसे आज तक जीवित रखा गया। उन्होंने कहा कि ड्राइविंग सीट पर आधुनिक बाजार होंगे या फिर अपनी संस्कृति, इसे हम और आपको तय करना होगा।

उन्होंने कहा कि आज एआई के जमाने में भी हमारे भारत के योग को दुनिया ने ले लिया है। पिछले कुछ दशकों से विश्व भर में जो घटित हो रहा था, उसमें भारत कहीं पर नहीं था। अब परिवर्तन हुआ है। तकनीक से जो शक्ति का अर्जन होता है, यही से सोचना होता है कि शक्ति का हमें क्या उपयोग करना है। शक्ति का सही दिशा में उपयोग होगा तो बेहतर परिणाम सामने होगा। जब हम विकास के रास्ते पर जा रहे हैं, देश तीसरी अर्थ व्यवस्था बन गया है तो हमें अपना एक मापदंड तय करना होगा।

सुनील आंबेकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में शुद्ध चरित्र होना जरूरी है। जो चरित्रवान नहीं होंगे, उनकी एकता बहुत देर तक नहीं चल पाएगी। स्वार्थ को दूसरे के रास्ते में नहीं आना चाहिए। हमारे देश में तमाम समस्याओं का नहीं आना, यह शुद्ध चरित्र ही है। शुद्ध चरित्र के लिए साधना बहुत जरूरी है। आज जब हम विकास के चरम पर जा रहे हैं तो इन सभी बातों को ध्यान रखना होगा।

इससे पूर्व काशी शब्दोत्सव 2025 के संयोजक डॉ हरेन्द्र राय ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मिथिलेश शरण नंदिनी जी महाराज, कार्यक्रम अध्यक्ष एवं काहिवि के कुलपति प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी, मुख्य वक्ता सुनील आंबेकर समेत सभी अतिथियों एवं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का स्वागत किया।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में चलने वाले सभी सत्रों के विषय बिंदु पर डॉ शैलेष मिश्रा ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम दूसरे कार्यक्रमों से अलग है। भारत की संस्कृति पर केंद्रित कार्यक्रम है। इसलिए काशी को कार्यक्रम के लिए चुना गया। तीन दिनों तक चलने वाले काशी शब्दोत्सव कार्यक्रम में तमाम बिंदुओं पर चर्चा होगी।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुभाष, प्रचारक रामाशीष, प्रचारक मनोजकांत, प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत कार्यवाह राकेश सहित तमाम प्रमुख लोग उपस्थित रहे

 
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