हरिद्वार, 22 नवंबर । देवभूमि हरिद्वार आज उस समय युद्ध भूमि में बदल गई जब भारतीय सेना की खड़ग कोर की रैम डिविजन ने युद्ध अभ्यास करते हुए रैम प्रहार का सफलतापूर्वक प्रयोग कर प्रतीकात्मक रूप से दुश्मन देश की सीमा में प्रवेश किया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, जीओसी, इन सी, पश्चिमी कमांड, ने हरिद्वार में शनिवार को अभ्यास के समापन पर सैन्य अभ्यास का निरीक्षण और मान्यकरण किया।
यह एक प्रमुख एकीकृत सशस्त्र सेना एवं सेवाओं का युद्धाभ्यास था, जो भारतीय सेना के आधुनिक, अनुकूलनशील, तेजी और तकनीक-सक्षमता की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इस अभ्यास ने सेना की परिचालनिक तेजी, बहु-क्षेत्रीय क्षमताओं तथा भूमि, वायु और साइबर सभी क्षेत्रों में वास्तविक समय में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि की है। वर्तमान संवेदनशील क्षेत्रीय सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए यह सैन्य तैयारी, प्रतिरोधक और रणनीतिक दृढ़ शक्ति को रेखांकित करता है।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने बताया कि अभ्यास से पहले, रैम डिविजन ने विभिन्न युद्धाभ्यास ड्रिल्स और टैक्टिक्स, टेक्नीक एवं प्रोसीजर का सत्यापन किया। अभ्यास के दौरान क्वचित सेना, पैदल सेना, इंजीनियर तथा आर्मी एविएशन के द्वारा गतिशील युद्धक्षेत्र में समन्वय के साथ अभियान संचालित किया गया। अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस एकीकरण, एआई आधारित निर्णय सहायता तंत्र तथा नेटवर्क-सक्षम कमांड एवं कंट्रोल सिस्टम के प्रयोग ने यह दर्शाया कि भारतीय सेना जटिल और तकनीक-प्रधान युद्धक्षेत्रों में विजय प्राप्त करने की सेना की क्षमता रखती है।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने बताया कि एक्सरसाइज रैम प्रहार भारतीय सेना की उस अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जिसके माध्यम से वह समन्वय, नवाचार और जनता के साथ अपने मजबूत संबंधों से शक्ति प्राप्त करते हुए फुर्तीला, लचीला और भविष्य के लिए तैयार बने रहने का संकल्प रखती है। यह अभ्यास भारत की उस दृढ़ क्षमता का सूक्ष्म, किंतु सशक्त संकेत भी है, जिसके बल पर राष्ट्र अपने हितों की रक्षा करने और क्षेत्रिय स्थिरता बनाए रखने में समर्थ है।
