Quote :

" लक्ष्य निर्धारण एक सम्मोहक भविष्य का रहस्य है " -टोनी रॉबिंस

Science & Technology

आवश्यकता है धातुओ का पुनर्चक्रण

Date : 28-Nov-2023

धातुओं को आधुनिक अर्थव्यवस्था की नींव माना जाता है और एक हालिया अध्ययन बताता है कि व्यवसायिक स्तर पर उपयोग की जाने वाली 61 धातुओं में से आधी से अधिक धातुओं का जीवनकाल 10 वर्ष से भी कम है। नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश धातु पुनर्चक्रण या पुन: उपयोग की बजाय या तो बड़ी मात्रा में कचरे में फेंक दी जाती हैं या कहीं गायब हो जाती हैं।

गौरतलब है कि हर वर्ष अरबों टन धातुओं का खनन किया जाता है और धातु उत्पादन वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है। जर्मनी के बेरूथ विश्वविद्यालय के क्रिस्टोफ हेल्बिग के मुताबिक पुनर्चक्रण करने से पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है और धातुओं का खनन भी कम करना पड़ेगा।

इस बारे में येल युनिवर्सिटी के औद्योगिक पारिस्थितिकिविद थॉमस ग्रेडेल बताते हैं कि अपने जीवनकाल के किसी भी चरण में धातु का नुकसान हो सकता है। कुछ धातुएं तो खनन के दौरान सह-उत्पाद के तौर पर प्राप्त होती हैं जिनका कहीं भी उपयोग नहीं किया जाता। कुछ अन्य धातुएं उपयोग के दौरान नष्ट हो जाती हैं - जब किसी मशीनरी के खराब होने पर उन्हें फेंक दिया जाता है या उर्वरक जैसे अन्य पदार्थों में परिवर्तित कर दिया जाता है जो अंततः पर्यावरण में फैल जाते हैं। लेकिन इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि बरबादी और पुनर्चक्रण - यानी कचरा स्थलों पर फेंके जाने या पुनर्चक्रण संयंत्रों तक पहुंचने वाली धातु - वैश्विक धातु हानि का 84 प्रतिशत है।

ग्रेडेल के अनुसार इन नुकसानों को मापने के लिए पूर्व में किए गए अध्ययनों में केवल विशिष्ट धातुओं पर ही ध्यान दिया गया था। इस अध्ययन में हेल्बिग और उनके साथियों ने कई उद्योगों से डैटा एकत्रित किया और देखा कि विभिन्न धातुएं कितने समय तक उपयोगी रहीं, वे कैसे गुम हुईं या फिर उनके पुनर्चक्रण की कितनी संभावना थी

उन्होंने पाया कि कई धातुओं का बहुत कम अनुपात में पुनर्चक्रण किया जाता है। इनमें कुछ अपवाद भी हैं जैसे सोना जो सदियों तक उपयोग में रहता है और पुन: उपयोग भी किया जाता है। लोहा और सीसा भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसी तरह कई धातुओं को युरोपीय संघ और यूएसए में ‘अत्यंत महत्वपूर्ण’ माना गया है जिनमें नुकसान की दर अधिक और पुनर्चक्रण की दर कम है। इन धातुओं में कोबाल्ट और गैलियम शामिल हैं। कोबाल्ट का उपयोग हवाई जहाज़ के इंजनों और लीथियम-आयन बैटरियों में होता है और गैलियम का उपयोग सेमीकंडक्टर्स बनाने में किया जाता है।

 

पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए नए उत्पादों में धातुओं का पुन: उपयोग अनिवार्य किया जा सकता है। फिलहाल युरोपीय संघ पुनर्चक्रित लीथियम, निकल, कोबाल्ट और सीसा का उपयोग करके नए प्रकार की बैटरी बनाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, मिश्रित धातुओं का पुनर्चक्रण करना तकनीकी और आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, फिर भी अर्थव्यवस्थाओं के स्थायित्व की दृष्टि से धातुओं का पुनर्चक्रण आवश्यक है। 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload









Advertisement