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जानें कैसे चांद पर जाएगा चंद्रयान-4 और फिर कैसे लौटेगा, दो रॉकेट वाली तकनीक क्यों ?

Date : 21-Sep-2024

चंद्रयान-4 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो का ऐसा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जिससे भारत स्पेस में सबसे बड़ी छलांग लगाएगा. ये छलांग भारत को और बड़ी स्पेस पॉवर बना देगी. चंद्रयान -4 इसलिए खास और अनूठा होगा, क्योंकि वर्ष 2027 में यानि तीन साल बाद चांद तक जाएगा. वहां उतरेगा. वहां से नमूने इकट्ठे करेगा और फिर वापस लौटकर पृथ्वी पर आएगा. अभी तक ये काम केवल अमेरिका कर पाया है|

आज तक केवल अमेरिका ने सफलतापूर्वक चंद्रमा पर मानवयुक्त शटल भेजा है और उसे पृथ्वी पर वापस भी लेकर आया है. यह उपलब्धि अपोलो मिशन को मिली थी. इसके अलावा सोवियत संघ और चीन ने चंद्रमा पर ऐसे गैर मानव मिशन भेजे, जो वहां गए और वापस लौटे | अगर भारत ने ये काम कर दिया तो वो भी इनमें शामिल हो जाएगा |

सरल शब्दों में समझने के लिए चंद्रयान-4 जब चांद की कक्षा में पहुंचेगा तो एक हिस्सा कक्षा में घूमता रहेगा और दूसरा इससे अलग होकर चांद पर उतरेगा. उसमें से लैंडर निकलेगा. नमूने इकट्ठे करेगा. फिर तकनीक की मदद से लैंडर का नमूना इकट्ठा करने वाला उपकरण लैंडर के लांच पैड के जरिए चांद से कक्षा में चक्कर लगाते दूसरे हिस्सा तक पहुंचेगा. वहां नमूनों का ट्रांसफर करेगा और फिर वो हिस्सा वापस पृथ्वी की ओर नमूने के साथ लौट आएगा. ये खास तकनीक वाला मून मिशन होगा. जिसमें पांच पेलोड या घटकों को चंद्रमा पर जाने और वहां से वापस आने के लिए अलग अलग हिस्सों में डिजाइन किया गया है |

इस मिशन का उद्देश्य चट्टानों और मिट्टी सहित चंद्र नमूनों को इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है. चंद्रयान-3 ने अगस्त 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की थी, उसने वहां नमूने इकट्ठे तो जरूर किये लेकिन उनका विश्लेषण वहां खुद किया. वहां से उसने लगातार तस्वीरें और सूचनाएं जरूर भेजता रहा. चंद्रयान4 नमूने इकट्ठे करके चांद पर रहने तक उनका विश्लेषण करेगा और फिर उन्हें लेकर भारत भी लौटेगा | इसका उद्देश्य भविष्य के चालक दल के चंद्र मिशनों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण तकनीकों का प्रदर्शन करना है, जिसमें सटीक लैंडिंग, नमूना संग्रह और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी शामिल है. इसी के आधार पर भारत वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाना और वहां से लाना चाहता है |

 

मल्टी-मॉड्यूल डिज़ाइन: अंतरिक्ष यान में पांच मॉड्यूल होंगे जो दो स्टैक में विभाजित होंगे. पहले स्टैक में सैंपल कलेक्शन के लिए एक एसेंडर मॉड्यूल और चंद्र सतह पर उतरने के लिए एक डिसेंडर मॉड्यूल शामिल है. दूसरे स्टैक में थ्रस्ट के लिए एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, सैंपल रखने के लिए एक ट्रांसफर मॉड्यूल और सैंपल को धरती पर वापस लाने के लिए एक री-एंट्री मॉड्यूल शामिल है |

दरअसल ये एक यूनिक तकनीक होगी, जिसमें चंद्रयान-4 चंद्रमा पर अपने सारे काम करने के बाद उसकी सतह से उड़ान भरेगा, चंद्र कक्षा में जाएगा. वहां पहले से मौजूद मॉड्यूल से जुड़ेगा, मॉड्यूल के बीच नमूनों को स्थानांतरित करेगा और उसके जरिए फिर पृथ्वी पर वापस आएगा |

 

चंद्रयान-4 का बजट : भारत सरकार ने इसमिशन के लिए ₹2,104.06 करोड़ (लगभग $253 मिलियन) आवंटित किए हैं. ये मिशन सितंबर 2024 से शुरू हो जाएगा. इसे 36 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है. मिशन में उन्नत LVM3 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा. इसके जरिए जटिल अंतरिक्ष संचालन में इसरो अपनी क्षमताओं का पूरा प्रदर्शन करेगा|

 

इस्तेमाल होने वाले धातु : चंद्रयान कई मॉडयूल और रॉकेट के साथ मिलकर बनेगा. इसमें हरेक में अलग तरह की धातुओं का इस्तेमाल होगा. चंद्रयान के 5 माड्यूल होंगे
प्रोपल्सन मॉड्यूल – ये चंद्रयान 3 की एल्यूमीनियम की मिश्र धातु का होगा
डिसेंडर माड्यूल (लेंडर) ये मिट्टी परीक्षण के उपकरण लेकर जाएगा और चांद की सतह पर घूमेगा.इसमें ऐसा उपकरण होगा जो चांद के एक दिन या पृथ्वी के 14 दिनों तक काम करता रहे|
एसेंडर मॉड्यूल – सैंपल इकट्ठा करने के बाद ये खुद को लैंडर से अलग करेगा. जो मॉड्यूल चांद पर नमूने इकट्ठा करेगा, वो रोबोटिक भुजा का उपयोग करेगा.फिर मून की सतह से लैंडर के लांच पैड का इस्तेमाल करके ऊपर उठेगा.
ट्रांसफर मॉड्यूल – इसके बाद ये अपने नमूनों का ट्रांसफर एसेंडर से री एंट्री माड्यूल में करेगा. खुद को अलग कर लेगा. फिर री एंट्री मॉड्यूल धरती पर लौटेगा.
चंद्रयान4 की ज्यादातर चीजों एल्यूमीनियम मिश्र धातु का ही इस्तेमाल होगा. इंजन कई धातुओं से मिलकर बने होंगे, जिसमें एल्यूमीनियम और मेरेजिंग स्टील शामिल होंगे |

चंद्रयान-4 में दो रॉकेट क्यों :  चंद्रयान-4 इस मायने में अनूठा होगा कि इसमें दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा | एक रॉकेट इसे चांद पर ले जाने का काम करेगा और दूसरा इसको वापस लेकर आने का काम करेगा. कुल मिलाकर चंद्रयान-4 इस तरह की कई तकनीक का मिश्रण होगा, जो पहले स्पेस की दुनिया में नहीं देखी गई है |

 

 

 
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