देश में इस बार मानसून अपनी निर्धारित तिथि से आठ दिन पहले आने की खबरें हैं, तो वहीं 25 मई से शुरू हो रहे नौतपा को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। आम लोगों के बीच यह धारणा है कि नौतपा में अक्सर बहुत तेज़ गर्मी और तेज़ आंधी-तूफान आते हैं, लेकिन इस बार मौसम ने कुछ अलग ही मिजाज दिखाया है। कई राज्यों में तेज बारिश और तूफान के बीच लोग सोच रहे हैं कि क्या नौतपा अपना पारंपरिक ‘रौद्र रूप’ दिखा पाएगा।
दरअसल, नौतपा एक खगोलीय घटना है, जिसे सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी तय करती है।
नेशनल अवॉर्ड विजेता विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि नौतपा पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर 365 दिन में पूरी होने वाली परिक्रमा का हिस्सा है। हर साल 25 मई को पृथ्वी ऐसी स्थिति में पहुंचती है कि सूर्य के पीछे आकाश में रोहिणी तारामंडल दिखाई देने लगता है, जिसे कहा जाता है कि सूर्य ने रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर लिया है। यह ठीक वैसे ही है जैसे हम अपनी जन्मतिथि हर साल मनाते हैं—हर 365 दिन बाद वही तारीख दोबारा आती है। इसी कारण से 25 मई से 2 जून तक की नौ दिनों की अवधि को नौतपा कहा जाता है।
सारिका ने यह भी समझाया कि हिंदी कैलेंडर की तिथियां और महीनों के नाम हर साल बदलते रहते हैं, इसलिए त्योहारों जैसे दीपावली और होली की तिथियां भी बदल जाती हैं। लेकिन जो त्योहार सूर्य और पृथ्वी की खगोलीय स्थिति पर आधारित होते हैं, जैसे मकर संक्रांति और नौतपा, वे लगभग हर साल एक ही समय पर मनाए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पुराने समय में नौतपा को रोहिणी नक्षत्र पर आधारित इसलिए माना गया होगा ताकि लोग मई के तीव्र गर्मी के मौसम में सतर्क रहें और अपनी सुरक्षा कर सकें।
सारिका ने अंत में कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी और नौतपा के बीच का संबंध हमेशा स्पष्ट नहीं होता। फिर भी, हर साल 25 मई से 2 जून की यह अवधि नौतपा के नाम से पहचानी जाती है, ठीक उसी तरह जैसे हम अपनी जन्मतिथि याद रखते हैं।