उज्जैनः सोमवार को धूमधाम से निकलेगी भगवान महाकाल की सवारी, दो स्वरूपों में देंगे भक्तों को दर्शन | The Voice TV

Quote :

तुम खुद अपने भाग्य के निर्माता हो - स्वामी विवेकानंद

Travel & Culture

उज्जैनः सोमवार को धूमधाम से निकलेगी भगवान महाकाल की सवारी, दो स्वरूपों में देंगे भक्तों को दर्शन

Date : 29-Jul-2024

 उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में दूसरे सोमवार, 29 जुलाई को दूसरी सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। रजत पालकी में सवार होकर अवंतिकानाथ अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नग भ्रमण करेंगे। सवारी के दौरान भगवान महाकालेश्वर पालकी में चंद्रमौलेश्वर के रूप में तथा हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक मृणाल मीना ने रविवार को बताया कि भगवान महाकाल की सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में दोपहर साढ़े तीन बजे भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा। उसके पश्चात शाम चार बजे भगवान चन्द्रमौलेश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।


मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जावेगी। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहॉ माँ क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

महाकालेश्वर भगवान की सवारी का सजीव प्रसारण मंदिर प्रबंध समिति के फेसबुक पर किया जाएगा। इसके साथ ही सवारी के अंत में चलित रथ में एलईडी के माध्यम से सवारी मार्ग में दर्शन हेतु खड़े श्रद्धालुओं को सजीव दर्शन की व्यवस्था की गई है। इस चलित रथ की विशेषता यह है कि इसमें लाइव बॉक्स रहेगा, जिससे लाइव प्रसारण निर्बाध रूप से होगा।

सवारी के दौरान श्रद्धालुओं से अपील है कि सवारी मार्ग में सड़क की ओर व्यापारीगण भट्टी चालू न रखें और न ही तेल का कड़ाव रखें। दर्शनार्थी सवारी में उल्टी दिशा में न चलें और सवारी निकलने तक अपने स्थान पर खड़े रहें। दर्शनार्थी गलियों में वाहन न रखें। श्रद्धालु सवारी के दौरान सिक्के, नारियल, केले, फल आदि न फैंकें। सवारी के बीच में प्रसाद और चित्र वितरण न करें। इसके अलावा पालकी के आसपास अनावश्यक संख्या में लोग न रहें।

महाकालेश्वर भगवान की दूसरे सोमवार की सवारी में भी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा।। भारिया जनजातीय भड़म नृत्य छिंदवाड़ा के मौजीलाल पचलिया के नेतृत्व एवं बैगा जनजातीय करमा नृत्य, डिंडोरी के धनीराम बगदरिया के नेतृत्व में इनका दल 29 जुलाई को महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा।

भड़म नृत्य भारिया जनजाति का प्रमुख नृत्य है। इस नृत्य को कार्तिक पूर्णिमा से माह जून तक किया जाता है। इसे शादी और भीम देवता की पूजा में किया जाता है। वहीं, करमा आदिवासी नृत्य कर्म पूजा के शरदकालीन त्योहार के दौरान किया जाता है। यह नृत्य गोंडवाना की लोक संस्कृति से संबंधित है। यह छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों से संबंधित है।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement