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कोरोना के समय से कृपा बरसा रहे मां विंध्यवासिनी मंदिर वाले भोलेनाथ

Date : 06-Aug-2024

  लखनऊ । विश्व पटल पर कोरोना के संकट काल में लखनऊ के मां विंध्यवासिनी मंदिर में विशालकाय शिवलिंग को प्राण—प्रतिष्ठा कर विराजित किया गया। कोरोना के समय से ही मां विंध्यवासिनी मंदिर वाले भोलेनाथ अपने भक्तों पर कृपा बरसा रहे हैं। सावन के महीने में भोलेनाथ के दर्शन को भक्तों का यहां तांता लगा रहता है। शाम के वक्त परिवार सहित दर्शन को आने वाले भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है।


शहर के अलीगंज क्षेत्र में मां विंध्यवासिनी का मंदिर स्थापित है। मां विंध्यवासिनी की कृपा पात्र बताते हैं कि मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है और यहां माता की मूर्तियां स्वयं से प्रकट हुई हैं। मां की मूर्ति के दर्शन मात्र से बिगड़ते हुए काम बनने लगते हैं। इसी मां विंध्यवासिनी मंदिर में बहुत समय पहले से एक शिवलिंग विराजमान रहा है। जिसका आकार सामान्य शिवलिंग जैसा ही रहा है। बाद में कोरोना काल में मंदिर के भक्तों ने उसी स्थान पर विशालकाय शिवलिंग विराजमान कर दिया।

मंदिर में पांच फीट ऊंचा शिवलिंग विराजमान हुआ तो उसे देखने के लिए उस वक्त भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। मंदिर के पिछले द्वार पर चाय की दुकान लगाने वाले भरत यादव ने बताया कि ​कोरोना काल में ​आस्था भाव से विश्व कल्याण की भावना से विशालकाय शिवलिंग को विराजमान किया गया था। कोरोना के संकट को दूर करने के लिए भगवान शिव से सैकड़ों भक्तों ने प्रार्थना की थी।

उन्होंने बताया कि वह स्वयं ही प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। उनके जैसे सैकड़ों भक्त रोजाना यहां दर्शन को आते हैं। सावन माह में आने वाले भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। आसपास के फूल माला की दुकानें भी भक्तों के आने से फलती फूलती है। मंदिर में विराजमान ​शिवलिंग के चारों ओर गणेण, पावर्ती, कार्तिकेय की मूर्तियां है। शिवलिंग के दर्शन के बाद वही बैठे नंदी की भी पूजा की जाती है।

सीतापुर रोड से अलीगंज क्षेत्र में प्रवेश करते ही बांयी छोर पर मां विंध्यवासिनी मंदिर प्रांगण दिखता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु, शनिदेव, नौ ग्रह, नौ देवियां, श्रीराम दरबार, भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, राम भक्त हनुमान, मां दुर्गा व पीपल देवता भी विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी सूर्यकुमार तिवारी सुबह ही मंदिर में स्वच्छता कार्य के बाद मुख्य द्वार खोल देते हैं। मां विंध्यवासिनी की आरती के बाद दर्शन पूजन आरम्भ हो जाता है।

 

 
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