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हिन्दू शौर्य के सामूहिक प्रकटीकरण से 1992 में हटा अपमान का प्रतीक बाबरी ढ़ांचा

Date : 14-Dec-2024

 लखनऊ। गीता जयंती के दिन 06 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में हिन्दू शौर्य का सामूहिक रूप से प्रकटीकरण हुआ। हिन्दुओं के जन ज्वार ने रामजन्मभूमि से अपमान का प्रतीक बाबरी ढांचा हटा दिया। इतिहास में यह पहली घटना थी जब हिन्दुओं की शक्ति का सामूहिक प्रकटीकरण हुआ था। राम मंदिर के लिए अनेक वर्षों से प्रयास चल रहा था। गीता जयंती के दिन 1992 में यह अवसर आ गया।

विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय संगठन मंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्यबोध कराया था। आज के ही दिन 1992 में हिन्दू शौर्य के सामूहिक प्रकटीकरण से अपमान का प्रतीक बाबरी ढांचा हटा था। हिन्दू समाज के स्वाभिमान जागरण के सामूहिक पराक्रम का यह दिन था।

उन्होंने कहा कि हिन्दू शौर्य का प्रकटीकरण जिसने हिन्दू समाज को पुन: खड़ा कर दिया। राममंदिर आन्दोलन ने ऐसी परिस्थिति निर्माण कर दी कि हिन्दुत्व व हिन्दू समाज के भाव पुन: विश्व के केन्द्र में आकर खड़ा हो गया। राम मंदिर आन्दोलन का परिणाम इस देश की राजनीति पर भी हुआ। हिन्दू समाज का अपमान कर कोई भी दल इस देश की राजनीति नहीं कर सकता । इसलिए हिन्दू हित ही देश हित है। हिन्दू संस्कृति ही इस देश की संस्कृति है। यह भाव समाज के मन में बैठ गया।

विहिप के संगठन मंत्री ने कहा कि भारत के ऊपर निरंतर डेढ़ हजार वर्ष से आक्रमण हो रहे थे। हमारे पूर्वजों ने इस देश व धर्म के लिए बलिदान देकर रक्षा की। इसीलिए हिन्दू धर्म अनेक आक्रमणों व अनेक झंझावातों के कारण भी आज जीवित रहा । वह शौर्य हर हिन्दू के जीवन में जाग्रत होने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज भी अनेक चुनौतियों हैं। जिहादी हिंसा बढ़ रही है। मतातंरण ​की समस्या है। बांगलादेश में जिस प्रकार अत्याचार हो रहा है उसको देखकर विरोधी शक्तियां चाह रही हैं ऐसी परिस्थिति भारत में निर्माण हो । इसलिए हिन्दू समाज को सजग होकर इन परिस्थितियों में अपने पराक्रम के जागरण की आवश्यकता है।

शौर्य ही हिन्दू समाज की विपरीत काल में रक्षा करेगा    

मिलिंद परांडे ने कहा कि शौर्य ही अपने हिन्दू समाज की विपरीत काल में रक्षा करेगा। शौर्य हर हिन्दू के जीवन में जाग्रत होने की आवश्यकता है। आज के समय में यह जिम्मेदारी है कि अनेक शक्तियां आज देश के अंदर हैं। देश के बाहर भी ऐसी अनेक शक्तियां हैं। जिनकी हिंसा में विश्वास है वह हिन्दुत्व को आगे आने देना नहीं चाहती । वैसे हिन्दू समाज वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भव​न्तु सुखिन: का भाव लेकर चल रहा है। लेकिन विश्व कभी कमजोर का सम्मान नहीं करता। अपने शान्तिपूर्ण कार्यों में हिन्दू समाज लगा ही रहेगा। मगर स्वयं की रक्षा के लिए अपने जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए शौर्य ही एकमेव आधार है। भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश का स्मरण कर शौर्य को अपने व्यक्तिगत जीवन में और समाज मे निरंतर जाग्रत करना हर हिन्दू का कर्तव्य है। हर हिन्दू को अपने देश व धर्म की रक्षा के आगे आना होगा।

विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अम्बरीश सिंह ने बताया कि गीता जयंती के दिन अयोध्या में उमड़े जन ज्वार ने पराधीनता के प्रतीक बाबरी ढांचे को इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया। इसी के साथ राष्ट्रीय स्वाभिमान के पुनर्प्रतिष्ठा यज्ञ के एक चरण की पूर्णाहुति हुई। राष्ट्रीय अपमान का यह चिन्ह समाप्त हुआ। इस पराक्रम ने हिन्दू का हिन्दू के आकलन करने का मापदण्ड बदल दिया।

 
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