उज्जैन | विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में आज (सोमवार से) शिव नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। यह पर्व नौ दिनों तक चलता है, जिसे शिव नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दौरान भगवान महाकाल का दूल्हे की तरह शृंगार किया जाता है। मान्यता है कि शिव विवाह के अंतर्गत भगवान महाकाल को इन नौ दिनों तक हल्दी का उबटन किया जाता है और महाशिवरात्रि के दिन रात्रि को महापूजन के बाद अगली सुबह उन्हें पुष्प मुकुट से सजाया जाता है, जिसमें सवा मन फूलों का मुकुट बनता है।
महाकालेश्वर मंदिर के शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि से नौ दिन पहले शिव नवरात्रि की शुरुआत होती है। सोमवार को महाकाल मंदिर में प्रात: भगवान महाकाल को हल्दी का उबटन लगाया जाएगा, इसके बाद कोटेश्वर महादेव का अभिषेक किया जाएगा। आरती के बाद भगवान महाकाल का पूजन प्रारंभ होगा। इस पूजन में 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादशनी रूद्राभिषेक किया जाएगा, जो सभी नौ दिनों तक चलेगा। प्रात: 10.30 बजे भोग आरती होगी, जबकि अपराह्न तीन बजे भगवान का संध्या पूजन होगा, जिसमें उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाएंगे। भगवान महाकाल संध्या समय में हर दिन नए रूप में भक्तों को दर्शन देंगे। यह क्रम 25 फरवरी तक चलेगा, जबकि महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन रात्रि को महापूजन होगा और भगवान के दर्शन सतत जारी रहेंगे। 27 फरवरी को प्रात: पुष्प मुकुट से शृंगार होगा, और दोपहर 12 बजे साल में एक बार होने वाली भस्मारती आयोजित की जाएगी।
फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति शिव नवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल के दूल्हा स्वरूप के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव नवरात्रि के पहले दिन भगवान कोटेश्वर की पूजा और अभिषेक किया जाता है, जबकि दूसरे दिन भगवान महाकाल को वस्त्र पहनाए जाते हैं। शिव नवरात्रि के सातवें दिन भगवान महाकाल माता पार्वती के साथ दर्शन देते हैं, जिसे उमा महेश शृंगार कहा जाता है। अंत में महाशिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल दूल्हे के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं, जिसे सेहरा दर्शन के नाम से जाना जाता है।
