उज्जैनः रात 12 बजे खुले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, दर्शन के लिए लगी लम्बी कतार | The Voice TV

Quote :

सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Travel & Culture

उज्जैनः रात 12 बजे खुले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, दर्शन के लिए लगी लम्बी कतार

Date : 29-Jul-2025

उज्जैन, 29 जुलाई । मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट सोमवार रात 12 बजे खोले गए। महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीतगिरी महाराज ने त्रिकाल पूजन करके मंदिर के पट खोले। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ, जो मंगलवार रात 12 बजे तक यानि 24 घंटे चलेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए रात में श्रद्धालुओं की लम्बी कतार लगी हुई है।

महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट हर साल सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। श्रद्धालु मंगलवार रात 12 बजे तक दर्शन कर सकेंगे। यहां नागपंचमी पर दोपहर 12 बजे फिर से महानिर्वाणी अखाड़ा की ओर से पूजन होगा। फिर शाम को भगवान महाकाल की आरती के बाद पुजारियों और पुरोहितों द्वारा अंतिम पूजन किया जाएगा। इसके बाद रात 12 बजे मंदिर में आरती होगी और मंदिर के पट पुनः बंद कर दिए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि नागपंचमी महापर्व पर देशभर से पांच लाख से अधिक भक्तों के भगवान महाकाल व नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने आने का अनुमान है। प्रशासन ने भीड़ को संभालने और सुरक्षा के लिए 200 वरिष्ठ अधिकारी, 2,500 कर्मचारी, 1,800 पुलिसकर्मी और 560 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

11वीं शताब्दी की श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की दुर्लभ प्रतिमा

श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस अद्भुत प्रतिमा में शिवजी और माता पार्वती एक फन फैलाए हुए नाग के आसन पर विराजमान हैं। शिवजी नाग शैय्या पर लेटे हुए दिखाई देते हैं, और उनके साथ मां पार्वती तथा भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं। प्रतिमा में सप्तमुखी नाग देवता भी दर्शाए गए हैं। साथ ही शिवजी और पार्वतीजी के वाहन नंदी और सिंह भी प्रतिमा में विराजित हैं। शिवजी के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं, जो इस मूर्ति की विशेषता को और अधिक दिव्य बनाते हैं।

श्री महाकालेश्वर मंदिर की संरचना तीन खंडों में विभाजित है। सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर का गर्भगृह है, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर मंदिर और तीसरे तथा शीर्ष खंड पर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा बोजराजा ने 1050 ईस्वी के लगभग करवाया था। बाद में 1732 ईस्वी में सिंधिया राजघराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। ऐसा माना जाता है कि श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की यह दुर्लभ प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement