राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने महान् वीरांगना झलकारी बाई कोली के बारे लिखा है कि -
पापमोचनी हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी मानी गई है। इस दिन श्रीहरि का पूजन, उनके मंत्रों का जाप, पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करने से परिवार का हर सदस्य पापों से मुक्ति पाता है
व्रत की पूजा विधि और लगाएं ये भोग
पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें | अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें |भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं. इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं | भगवान विष्णु को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें |पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें |अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें |
लेखक - रमेश शर्मा