चाणक्य नीति:-काम से पहले विचार कर लें Date : 02-Oct-2024 क: काल: कानि मित्राणी को देश: को व्ययागमो: | कस्याह: का च में शक्तिरिति चिन्त्यं || आचार्य चाणक्य जीवन में व्यवहार्य वस्तु की पूरी पहचान कर ही उन्हें बरतने की बात प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि कैसा समय है ? कौन मित्र है ? कैसा स्थान है ? आय-व्यय क्या है ? मैं किसकी और मेरी क्या शक्ति है? इसे बार-बार सोचना चाहिए | आर्थात व्यक्ति को किसी भी कार्य को शुरू करते समय इन बातों पर अच्छी तरह से विचार कर लेना चाहिए| क्या यह समय इस काम को करने के लिए उचित रहेगा ? मेरे सच्चे साथी कौन-कौन हैं, जो मेरी मदद करेंगे ? क्या इस स्थान पर इस काम को करने से लाभ होगा ? इस काम में कितना खर्च होगा और इससे कितनी आय होगी ? मैंने किसकी मदद की है ? तथा मेरे पास कितनी शक्ति है ? इन प्रश्नों पर विचार करते हुए मनुष्य को अपना जीवन बिताना चाहिए तथा आत्मकल्याण के लिए सदा प्रयत्नशील रहना चाहिए | जो व्यक्ति इन बातों पर विचार नहीं करता, वह पत्थर के समान निर्जीव होता है और सदा लोगों के पांवों में ठोकरें खाता रहता है | मनुष्य को समझदारी से काम लेकर जीवन बिताना चाहिए |