अमेरिका में होने वाले सत्ता परिवर्तन का भारत पर सम्भावित असर
Date : 05-Dec-2024
दिनांक 20 जनवरी 2025 को अमेरिका में श्री डॉनल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार कार्यभार सम्हालने जा रहे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने अपने पहिले कार्यकाल में अमेरिका के रिश्तों को भारत के साथ मजबूत करने का प्रयास किया था। परंतु, नवम्बर 2024 में सम्पन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान श्री ट्रम्प लगातार यह आभास देते रहे हैं कि वे अमेरिका को एक बार पुनः विनिर्माण इकाईयों का हब बनाने का प्रयास करेंगे और इसके लिए अन्य देशों विशेष रूप से चीन से आने वाले सस्ते उत्पादों पर 60 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगा सकते हैं, जिससे चीन से आयातित उत्पाद अमेरिका में महंगे हों जाएंगे एवं विनिर्माण इकाईयां अमेरिका में ही इन वस्तुओं का उत्पादन प्रारम्भ करेंगी। दूसरे, अमेरिका में आज भारी मात्रा में अन्य देशों से अप्रवासी नागरिक गैर कानूनी रूप से रह रहे हैं, विशेष रूप से अमेरिका के पड़ौसी देश मैक्सिको के नागरिक आसानी से सीमा पार कर अमेरिका में पहुंच जाते हैं, अतः गैर कानूनी रूप से अमेरिका में रह रहे नागरिकों को अमेरिका से बाहर भेजेंगे। उक्त दो विषयों को श्री ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जोर शोर से उठाया था। अमेरिका को एक बार पुनः महान बनाने की बात भी जोर शोर से कही गई थी।
यदि ट्रम्प प्रशासन आगे आने वाले समय में चीन से आयातित उत्पादों पर इतना भारी भरकम आयात शुल्क लागू करता है तो इससे भारतीय उत्पादों के लिए अमेरिका में जगह बन सकती है और विशेष रूप से ऑटो पार्ट्स, सौर ऊर्जा उपकरण एवं रासायनिक उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भारतीय विनिर्माण इकाईयां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकती हैं। इसी प्रकार, यदि अमेरिकी प्रशासन द्वारा चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी मात्रा में आयात शुल्क लगाया जाता है तो चीन के निर्यात कम होंगे और इससे चीन में आर्थिक वृद्धि दर कम होगी और ऊर्जा उत्पादों (कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, गैस, आदि) की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम होगी, जिससे कच्चे तेल की कीमतें भी कम होंगी, इसका सीधा सीधा लाभ भारत को हो सकता है, क्योंकि भारत विश्व में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। साथ ही, श्री ट्रम्प ने अमेरिका में भी कच्चे तेल के उत्पादन को आगे आने वाले समय में बढ़ाने की घोषणा की है और तुलनात्मक रूप से कुछ सस्ते दामों पर कच्चे तेल का निर्यात भारत को किया जा सकता है। विनिर्माण एवं सुरक्षा (डिफेन्स) के क्षेत्र में भी भारतीय कम्पनियों को लाभ हो सकता है। ट्रम्प प्रशासन ने ट्रम्प के प्रथम कार्यकाल में भारत के साथ कई बड़े रक्षा सौदे सम्पन्न किए थे। अमेरिकी सैन्य क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए, अमेरिका भारत से सुरक्षा क्षेत्र के उत्पादों का आयात आगे आने वाले समय में बढ़ा सकता है।
ट्रम्प प्रशासन ने अपने पहिले कार्यकाल में भी भारत के खिलाफ कुछ आर्थिक कदम उठाए थे जैसे भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम आफ प्रेफ्रेन्सेज (जीएसपी) से हटा दिया था। लेकिन अंततोगत्वा भारत पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं हुआ था। वर्ष 2018 में अमेरिका ने स्टील पर 25 प्रतिशत, अल्यूमिनियम पर 10 प्रतिशत, वशिंग मशीन पर 35 प्रतिशत का उत्पाद शुल्क लगाया था परंतु वर्ष 2019 से वर्ष 2021 के बीच अमेरिका को भारत का स्टील निर्यात 44 प्रतिशत बढ़ गया था। इसी प्रकार, फूटवीयर, मिनरल्स, रसायन, इलेक्ट्रिकल व मशीनरी जैसे उत्पादों का निर्यात भी भारत से अमेरिका को बढ़ा है, इससे सिद्ध होता है कि भारत कई उत्पादों के मामले में चीन के मुकाबले वैश्विक सप्लाई चैन में होने वाले बदलाव का अधिक लाभ उठाने की स्थिति में हैं। फिर भी, भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार करना होगा। भारत को नए निर्यात बाजार को तलाशना होगा एवं आयात कम करने के लिया आत्म निर्भरता प्राप्त करने की ओर और अधिक मजबूती से आगे बढ़ना होगा। ट्रम्प प्रशासन यदि चीन के विरुद्ध कारोबारी युद्ध को प्रारम्भ करते है, जिसकी कि प्रबल सम्भावना दिखाई देती है, तो इसका लाभ भारत को मिल सकता है। फार्मा, टेक्स्टाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सप्लाई चैन में होने बदलावों के देखते हुए, भारत लाभ की स्थिति में रह सकता है।