चाणक्य नीति:- इनसें गुणों की पहचान होती है Date : 11-Dec-2024 अभ्यासाद्धार्येते विद्या कुलं शीलेन धार्यते | गुणेन ज्ञायते त्वार्च कोपो नेत्रेण गम्यते || आचार्य चाणक्य यहां विद्या, कुल- श्रेष्ठता और क्रोध की पहचान करानेवाले तत्वों की चर्चा करते हुए कहते हैं, कि अभ्यास से विद्या का, शील-स्वभाव से कुल का, गुणों से श्रेष्ठता का तथा आँखों से क्रोध का पता लग जाता है | अर्थात् व्यक्ति के साथ रहने पर उसके परिश्रम, बोलने के ढंग आदि से उसकी विद्या का तथा उसके आचरण से उसके कुल-खानदान का पता लग जाता है | व्यक्ति के अच्छे गुण ही बता देते हैं कि वह एक श्रेष्ठ मनुष्य है | व्यक्ति चाहे मुंह से कुछ न कहे, किन्तु उसकी आंखें ही उसकी नाराजगी को बता देती हैं |