शिक्षाप्रद कहानी:- संत की क्षमा Date : 04-Jan-2025 दक्षिण भारत के पैठन नगर में गोदावरी स्नान के मार्ग में ही एक सराय पड़ती थी | उस सराय में एक पठान रहता था | स्नान करके लौटते हुए हिन्दुओं को वह बहुत परेशान किया करता था | दूसरों को छेड़ने और सताने में ही उसको अपना बड़प्पन जान पड़ता था| संत एकनाथ जी महाराज भी उसी मार्ग से स्नान के लिए गोदावरी में जया करते थे | वह पठान उन्हें भी बहुत तंग करता था | दूसरे लोग तो बुरा-भला भी कुछ कहते थे, परन्तु एकनाथ महाराज कभी कुछ बोलते ही नहीं थे| एक दिन जब एकनाथ जी स्नान करके सराय के नीचे से जा रहे थे, तब उस पठान ने उनके ऊपर कुल्ला कर दिया | एकनाथ जी फिर नदी में स्नान करने लौट गए | किन्तु जब वे स्नान करके आने लगे, तब पठान ने फिर उन पर कुल्ला कर दिया | इस प्रकार एकनाथ जी को कभी-कभी चार-पांच बार स्नान करना पड़ता था| “यह काफ़िर गुस्सा क्यों नहीं करता |” यह कहकर एक दिन पठान उनके पीछे ही पड़ गया | वह बार-बार कुल्ला करता और एकनाथ जी बार-बार गोदावरी स्नान करके लौटते गए | पूरे एक सौ आठ बार कुल्ला उसने किया और उतनी ही बार एकनाथ जी ने स्नान किया | अंत में संत की क्षमा की विजय हुई | पठान को अपने काम पर लज्जा आई | वह एकनाथ जी के पैरों में गिर पड़ा | बोला-“आप खुदा के सच्चे बंदे हैं | मुझे माफ़ कर दें | अब मैं कभी किसी को तंग नहीं करूंगा |” “ इसमें क्षमा की क्या बात हैं ? आपकी कृपा से आज मुझे एक सौ आठ बार गोदावरी का पुण्य स्नान प्राप्त हुआ |” एकनाथ जी ने यों कहकर उस पठान को आश्वस्त किया और अपने मार्ग से चलते गए | पठान ने उस दिन से उस मार्ग से जाने वाले स्नानार्थियों को फिर से तंग करना छोड़ दिया|