शिक्षाप्रद कहानी:- अपनी कमाई | The Voice TV

Quote :

सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Editor's Choice

शिक्षाप्रद कहानी:- अपनी कमाई

Date : 28-Dec-2024

एक वृद्ध महाशय अपने बचपन के साथी श्यामजी के पुत्र रामजी के यहां आये | उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए उससे कहा-“बेटा राजमी ! मुझे बड़ा दुःख है कि श्यामजी को गुजरे एक वर्ष बीत रहा है, किन्तु मैं तुम्हारा समाचार जानने के लिए इस बीच में नहीं आ सका | बेटा ! अब तुम्हारे सिर पर पिता की छत्रछाया  नहीं है, समझ-बूझकर अच्छे चाल-चलन में रहना | ईश्वर सबका रक्षक है |“

बूढा राजमी के चलन से भलीभांति परिचित था | उसे मालूम था कि वह बाप का पैसा पानी की तरह मौज-मस्ती और मित्र मंडली में उड़ा रहा है |

रामजी ने कहा-“ चाचा जी! अब आप ही मेरे लिए पिताजी की जगह हैं | बड़ा अच्छा हुआ, जो आप आ गये | कुछ ही दिनों बाद दीवाली है | चार दिन यहां बिताइये, आपका मुझ पर बड़ा प्रेम है| बताइए आपको कौनसा  पकवान अच्छा लगता है ? भगवान् की दया से मुझे कोई कमी नहीं है |“

वृद्ध ने चार दिन रुकने का निश्चय कर लिया | दीवाली आयी और उस दिन बूढ़े की पसंद का गूंजा बना | मित्र मंडली दिपावली पूजन आदि कर भोजन के लिए बैठी | बूढ़े चाचा जी भी पंक्ति में आ बैठे | भोजन परोसा गया | चाचाजी की थाली में तला हुआ तजा गूंजा परोसा गया | चाचाजी ने गूंजा मुख में रखा ही था कि छि: थू करते हुए उन्होंने कहा-“बेटा! गूंजा तो बासी है |”

राजमी! बोला- “चाचाजी यह गूंजा तो अभी-अभी तलकर झरने से उतारकर आपको गरम-गरम परोसा गया है | सारा सामान ताजा है | फिर आप बासी कैसे कह रहे हैं |

बूढा बोला- “बेटा !  इसमें पच्चीस साल पुरानी गंध आ रही है | यह बहुत ही बासी है | मेरे साथी श्यामजी ने कितने कष्ट से पैसा कमाया | उन्हें गुजरे एक ही वर्ष बीता है, इसी बीच तुमने आधी संपत्ति उड़ा दी, अब आगे क्या करोगे ? तुम अपने परिश्रम से कमाए धन से गूंजा बनवाते तो मैं उसे ताजा कहता | ताजा गूंजा मुझे बड़ा ही पसंद है पर मालूम पड़ता है कि वह मेरे भाग्य में नहीं है |“

वृद्ध की बातें सुनकर सभी सकपकाये | राजमी की समझ में बूढ़े कि बात आ गयी, वह विनम्र होकर वृद्ध चाचा के चरण छूकर कहने लगा- “चाचाजी ! आज अपने मेरी आँखें खोल दी हैं | मैं शपथपूर्वक कहता हूँ कि अब मैं अपने श्रम की कमाई की रोटी खाऊंगा | आगले वर्ष दिपावली पर जरुर पधारिये | आपकी पसंद का गूंजा ही आपको खिलाऊंगा |“

वृद्ध को यह सुनकर प्रसन्नता हुई | उसने कहा- “बेटा जुग-जुग जिओ! मैं अगले वर्ष दिवाली पर अवश्य आऊंगा | रामजी को आशीर्वाद देकर वह अगले दिन अपने घर के लिए प्रस्थान कर गया |

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement