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प्रो. बाल आपटे

Date : 18-Jan-2023

अधिवक्ता, प्रोफेसर, शिक्षाविद् और कार्यकर्ता बलवंत परशुराम आपटे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् संघ परिवार में बालजी के नाम से जाने जाते थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिले के राजगुरू नगर में 18 जनवरी 1939 को हुआ था। आपटे जी के पिता का नाम परशुराम आपटे माता का नाम सीता आपटे था। पिता परशुराम आपटे एक विख्यात अधिवक्ता थे और वह कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए थे। स्कूल शिक्षा प्राप्त करने के बाद बालासाहेब आपटे ने उच्च शिक्षा के लिए मुंबई का रूख किया। जहां उन्होंने एम.. और एल.एल.एम. की पढ़ाई उच्च अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसी समय वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संपर्क में आये और तब से जीवन के 45 वर्षो तक वह सक्रिय रूप से जुड़े रहे। वह 1974 से 1977 तक के उथल पुथल के दौर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। यह वही वक्त था जब देश में आपातकाल लागू था।

हमेशा संगठन के कार्य में तल्लीन रहने वाले व्यक्ति के तौर पर प्रसिद्ध आपटे जी ने छात्रों की सहभागी भूमिका की अवधारणा खड़ी की और उसे पूरी ताकत के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संगठनात्मक विस्तार में लागू किया। तब से दिनों में यानि 60 के दशक में यह नया विचार था। उनका मानना था कि छात्र आज के नागरिक हैं। बाद के वर्षो में देश के अन्य राजनीतिज्ञों ने इस अवधारणा को स्वीकार किया और 18 वर्ष की आयु पर मताधिकार का कानून बनाया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से अपने लंबे जुड़ाव के दौरान वह कई शैक्षणिक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों से भी गहराई से जुड़े रहे। इनमें शिक्षण प्रसारक मंडल, मुंबई विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, विश्व भारती कोलकाता इत्यादि। शिक्षा को लेकर उनके विचारों की झलक उनकी पुस्तकशैक्षणिक बदलावमें नजर आती है। जिसे उन्होंने 1975-77 में नासिक जेल में 15 माह तक मीसाबंदी के रूप में कैद रहने के दौरान कलमबद्ध किया था।

एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता होने के नाते बालासाहेब आपटे महाराष्ट्र के अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किए गये। वह मुंबई उच्च न्यायालय में पश्चिमी भारत के अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष भी रहे। विधि क्षेत्र से लंबे जुड़ाव के कारण मानद प्रोफेसर के रूप में उन्होंने मुंबई के न्यू लॉ कालेज में अध्यापन कार्य भी किया। वर्ष 2000 में आपटे को पहली बार राज्यसभा का सदस्य चुना गया। इसके बाद वर्ष 2006 में वह दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गये। वह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ भाजपा संसदीय बोर्ड कोर ग्रुप के भी सदस्य थे। संसद सदस्य के रूप में उन्होंने अपने 12 वर्ष के कार्यकाल में मानव संसाधन विकास, श्रम, रक्षा, रेल, विधि एवं न्यास, सूचना एवं प्रसारण, जहाजरानी, भूतल परिवहन एवं नागरिक उड्डयन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों से संबंधित समितियों में कार्य किया।

वह सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान (ट्रस्ट) मुंबई के उपाध्यक्ष, रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी मुंबई के अध्यक्ष, ‘सृजनडिपैक्स सेंटर फॉर इंटरप्रेन्यौरशिप डेवलपमेन्ट के अध्यक्ष, विद्यार्थी निधि ट्रस्ट के अध्यक्ष, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष और भारतीय लोक कल्याण न्यास दिल्ली के भी अध्यक्ष रहे।

आपटे जी ने विभिन्न देशों की यात्रायें कीं। सोवियत संघ गणराज्य, संयुक्त गणराज्य, चीन जर्मनी, स्विटरजरलैंड, दक्षिण कोरिया, पनामा और संयुक्त राज्य अमेरिका की अनेकों बार आधिकारिक यात्रायें की।

आपटे जी के आकस्मिक निधन से देश भर के कार्यकर्ताओं ने अपना एक मित्र एवं मार्गदर्शक जो सदैव प्रकाशपुंज के रूप में उनका मार्गदर्शन करता था, खो दिया है। उनके सानिध् में देश विदेश में अनेक प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की वृहत मालिका आज खड़ी है। हर क्षेत्र में विशेषज्ञों की टीम आपटे जी ने बनाई।

 

 
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