शिवाजी अपने तम्बू में बैठकर सेनानी माधव मामलेकर के आने की चिंतपूर्ण प्रतीक्षा कर रहे थे | इसी बिच हाथ में एक ग्रंथ लिए सेनानी पहुचे | उनके पीछे डोला लिए दो सैनिक आये | डोला रखकर वे चले गये | सेनानी ने प्रसन्नमुद्रा में कहा –“छ्त्रपते ! आज मुग़ल सेना बहुत दूर तक खदेड़ दी गई है | बेचारा बहलोल जान लेकर भागा | अब कोई ताकत नही कि मुग़ल सेना यह पुन: पैर रख सके |”
शिवाजी ने डोले की ओर देखते हुए पूछा –“ यह क्या हैं ?” सेनानी ने उत्तर दिया –“ इसमें मुस्लिम रमणियो में सुंदरता के लिए प्रसिध्द बहलोल की बेगम हैं , जो महाराज को भेट करने के लिए लाई गयी हैं और यह मेरे हाथ का कुरान लीजिए | हमारी हिन्दू संस्कृति से खिलवाड़ करने वालो का जी भरकर प्रतिशोध लीजिए |”
शिवाजी ने कुरान लेकर चूम लिया और डोले के पास जाकर पर्दा हटाया और बहलोल की बेगम को बहार आने को कहा | बेगम के बहार आ जाने पर उसको ऊपर से नीचे तक निहार कर कहा –“ सचमुच तू बड़ी सुंदर हैं |अफ़सोस है कि मै तेरे पेट से पैदा नही हुआ , नही तो मैं भी कुछ सुंदरता पा जाता |”
उन्होंने अपने एक अधिकारी को आदेश दिया कि ससम्मान और पूरी सुरक्षा के साथ बेगम तथा कुरान शरीफ को बहलोल को जाकर सौप दिया जाये और सेनानी को फटकारते हुए उन्होंने कहा –“ सेनापते ! आप मेरे साथ आप मेरे साथ इतने दिन रहे , पर मुझे नही पहचान सके | हम वीर है , वीर की यह परिभाषा नही कि अबलाओ पर प्रहार करे , उनका सतीत्व लुटे और धर्मग्रंथो की होली जलावे | किसी की संस्कृति नष्ट करना कायरता है | ऐसे कार्यो का शीघ्र अंत हो जाता है | परकर्म –सहिष्णु ही सच्चा वीर हैं |”
सेनापति लज्जित हो गया | उधर पत्नी और कुरान को ससम्मान लौटाया देख बहलोलखां जैसा क्रूर सेनापति भी पिघल गया | शिवाजी ने उसे दिल्ली लौट जाने का जो पत्र भेजा , उसे भी उसने पढ़ लिया और अंत में यही निश्चय किया कि इस फरिश्ते को देखकर ही दिल्ली लौटूंगा |
बहलोल ने शिवाजी से मिलने की इच्छा प्रकट की | साथ ही भेट के समय दोनों के नि:शस्त्र रहने की भी प्रार्थना की | शिवाजी ने स्वीकार क्र लिया |
नियत तिथि , समय और स्थान पर शिवाजी बहलोल की प्रतीक्षा में खड़े थे | बहलोल खां आया और ‘फरिश्ते’ कहकर शिवाजी से लिपट गया | फिर शिवाजी के पैरो में गिरकर कहने लगा –“माफ़ कर दे मुझे| बेगुनाहों का खून मेरे सिर चढ़कर बोलेगा | खुदा के लिए तू तो माफ़ कर दे | अब मुझ जैसे नापाक इंसान को इस दुनिया में रहने का हक नही हैं |