जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों को फसलों से संबंधित अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मोटे अनाज वाली फसलों को संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से यह कदम भारत सरकार की पहल के बाद उठाया है। मोटे अनाज वाली फसलों ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी, कुट्टू आदि को शामिल किया जाता है। इनको सुपर फूड भी कहा जाता है, क्योंकि मोटे अनाज में पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं।जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों को फसलों की बिगड़ती परिस्थितियों के बीच स्थायी भविष्य के खाद्य स्रोत मोटे अनाज वाली फसलें ही हैं। साथ ही जलवायु-अनुकूल प्रकृति के कारण मिलेट्स सबसे सुरक्षित फसलें हैं क्योंकि उन्हें प्रतिकूल, गर्म और शुष्क वातावरण में उगाया जा सकता है। भारत सरकार के सहयोग से सभी राज्यों को राष्ट्रीय फसल विविधीकरण कार्यक्रम के अंग के रूप में मोटे अनाज वाली फसलों को शामिल किया गया है। इससे मोटे अनाज के उपयोगी प्रसंस्करण और फसल चक्र के बेहतर इस्तेमाल के साथ इसे खाद्य सामग्री का अहम अंग बनाने में मदद मिलेगी।
भारत सरकार के वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाने के साथ-साथ इस वर्ष लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए भी राज्यों सरकारों अहम सहयोग रहेगा। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किसानों के लिए कल्याणकारी संगठन मिशन मोड में मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने और उपभोग में लाने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य संबंधित संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे। भारत सरकार ने अप्रैल 2018 में मिलेट्स को एक पौष्टिक अनाज घोषित किया था। और भारत सरकार ने वर्ष 2018 को राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष भी मनाया गया है।
हाल ही कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन और अन्य चुनौतियों के बीच मोटे अनाजों के महत्व को आम आदमी ने करीब से जाना है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए भी यह महत्वपूर्ण हैं। एशिया और अफ्रीका मिलेट्स अनाज के प्रमुख उत्पादक और उपयोगकर्ता देश हैं। भारत के अलावा नाइजर, सूडान और नाइजीरिया मिलेट्स के प्रमुख उत्पादक देश हैं। भारत सरकार की ओर से वर्ष 2023 को मिलेट्स वर्ष की पहचान देने की पहल के तहत संसद में सांसदों के लिए एक स्पेशल लंच तैयार किया गया, जहां रागी, ज्वार व बाजरे से बनी रोटियां परोसी गई। इसके अलावे ज्वार और बाजरे से बनी खिचड़ी भी सांसदों को खूब पसंद आई। इस स्पेशल लंच के लिए शेफ विशेष तौर कर्नाटक से मंगाए गए थे। उन्होंने रागी से इडली और डोसा तैयार किए।
मिलेट्स अनाज को कम पानी की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए गन्ने के पौधे को पकाने में 2100 मिलीमीटर पानी की जरूरत होती है। वहीं, मिलेट्स अनाज बाजरा की फसल के एक पौधे को पूरे जीवनकाल में 350 मिलीमीटर पानी चाहिए होता है। रागी को 350 मिलीमीटर पानी की आवश्यकता होती है तो ज्वार को 400 मिलीमीटर पानी लगता है। जहां दूसरी फसलें पानी की कमी होने पर पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं, वहीं, मिलेट्स अनाज की फसल खराब होने की स्थिति में भी पशुओं के चारे के काम आ सकती हैं।
पांच दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली में मिलेट्स-स्मार्ट न्यूट्रिटिव फूड कान्क्लेव का आयोजन किया गया था। इसमें किसान उत्पादक संगठनों, स्टार्टअप्स, निर्यातकों, बाजरा आधारित मूल्य वर्द्धित उत्पादों के उत्पादक जैसे आपूर्ति शृंखला के हितधारक शामिल हुए। कॉन्क्लेव के दौरान भारतीय मिलेट्स तथा मिलेट्स आधारित उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। इसके अतिरिक्त, लक्षित देशों के भारत में स्थित विदेशी मिशनों के राजदूतों और संभावित आयातकों को भी रेडी टू इट मिलेट्स उत्पादों सहित विभिन्न मिलेट्स केंद्रित उत्पादों को प्रदर्शित करने और बी2बी बैठकों को सुगम बनाने के लिए कॉनक्लेव में आमंत्रित किया गया था।
भारत के मोटे अनाज निर्यात संवर्धन कार्यक्रम को दुनिया के 72 देशों ने समर्थन दिया है। भारत सरकार वर्तमान में भारतीय मोटे अनाज और इसके मूल्य वर्धित उत्पादों को विश्व भर में लोकप्रिय बनाने तथा इसे एक जन आंदोलन बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासरत है। मोटे अनाज को बढ़ावा देने की सरकार की सुदृढ़ नीति के अनुसार, विदेशों में स्थित भारतीय राजदूतों को भारतीय मोटे अनाज की ब्रांडिंग व प्रचार, अंतरराष्ट्रीय शेफों तथा डिपार्टमेंटल स्टोर्स, सुपर मार्केट्स तथा हाइपर मार्केट्स जैसे संभावित खरीदारों की पहचान करने के लिए बी2बी बैठकों और प्रत्यक्ष करारों का आयोजन किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने कुछ उल्लेखनीय फूड शो, क्रेता-विक्रेता बैठकों और रोड शो में भारत से विभिन्न हितधारकों की सहभागिता को सुगम बनाने के लिए दक्षिण अफ्रीका, दुबई, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, सिडनी, बेल्जियम, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में मिलेट्स अनाज संवर्धन कार्यकलापों का आयोजन करने की योजना बनाई है। भारतीय मिलेट्स अनाज के संवर्धन के एक हिस्से के रूप में, एपीडा ने गल्फूड 2023, सियोल फूड एंड होटल शो, सऊदी एग्रो फूड, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) में फाइन फूड शो, बेल्जियम के फूड व बेवेरेजेज शो, जर्मनी के बायोफैक व अनुगा फूड फेयर, सैन फ्रैंसिस्को के विंटर फैंसी फूड शो जैसे विभिन्न ग्लोबल प्लेटफॉर्मों पर बाजरा तथा इसके मूल्य वर्धित उत्पादों को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है।
देश के किसानों का जीवन खेती किसानी पर आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ किसानों को कृषि उत्पादन का उचित मूल्य मिले, यह भी सरकार की योजनाओं में प्राथमिकताओ में शामिल करके मिलेट्स अनाज के गांव स्तरीय क्लस्टर बेस्ड समूहों/ संगठन की सहायता से मिलेट्स अनाज निर्यात संवर्धन करके किसानों की खेती को व्यापार से जुड़े, जिससे ग्रामीण जनों को रोजगार मिल सके, जिससे किसान अपने परिवार और समाज में पथ प्रदर्शक बन सके। इसी महत्व को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 देश के किसानों और आम आदमी के लिए भारत सरकार किसान कल्याणकारी नई योजनाओ को भी किसानों के खेतों तक पंहुचा रही है। इसमें किसानो के लिए मिलेट्स अनाज के उन्नतशील किस्में और बेहतर कृषि तकनीकी से उत्पादन बढेगा, जिससे विश्व में भारत की पहल को मजबूती मिलेगी। भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठनों में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करके वित्तीय मजबूती भी दी जा रही, जिससे देश के किसानों की उन्नति का मार्गदर्शन हो रहा है।
लेखक - श्योराम यादव
(लेखक, कृषि प्रसार विशेषज्ञ हैं।)