12 अप्रैल जयंती विशेष : साहस और बलिदान की मिसाल – महाराणा संग्राम सिंह 'राणा सांगा' | The Voice TV

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12 अप्रैल जयंती विशेष : साहस और बलिदान की मिसाल – महाराणा संग्राम सिंह 'राणा सांगा'

Date : 12-Apr-2025

वह महा महारथी कौन था? वह विश्व का सबसे अद्भुत और अद्वितीय योद्धा था ! वह मृत्यु से नहीं डरता था! वह घावों से नहीं घबराता था! वह शरीर में 80 घाव होने के बाद भी काल की भांति लड़ता था! वह तुर्कों, अफ़गानियों, और मुगलों के लिए काल था! उसने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को दो बार( खतौली और धौलपुर के युद्ध में ) ठोका था! उसने मुगल आक्रांता बाबर को भी दो बार(बयाना और कनवाह के युद्ध) ठोका था ! वह , जिसे खानवा में धोखे से हराया गया था ! वह जिसके लिए दया ही दुख का कारण बनी! जिसने 18 बड़े युद्धों में विजय प्राप्त कर ,उत्तर भारत में हिंदू साम्राज्य की पुनर्स्थापना की थी! वह जिसने दिल्ली सल्तनत को ध्वस्त कर दिया था! यह कौन था? यह एक लिंगनाथ का दीवान- महा महारथी-राणा सांगा था!!!

राणा सांगा- जब इनका इतिहास पढ़ाया जाएगा तब कायर और कुकर्मी मुस्लिम आक्राताओं, ब्रिटिश नायकों के साथ वामपंथी और तथाकथित सेक्यूलर इतिहासकारों के पलस्तर उधड़ जाएंगे, फिर हम सब बोलेंगे,जय जय श्री राम।" भाषा पर कम भाव पर जाईएगा।

एकलिंग नाथ जी (हर हर महादेव) के दीवान - हिंदुत्व के सूर्य, विश्व के सबसे अद्भुत एवं अद्वितीय महा महारथी राणा सांगा की जयंती पर शत् शत् नमन है" -राणा कभी राजा के नाम से शासन नहीं करते थे, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि राज्य तो एक लिंग नाथ का है इसलिए एक लिंग नाथ के दीवान के रुप में ही शासन किया। 

"तथाकथित दिल्ली सल्तनत को राणा सांगा ने ध्वस्त कर दिया था, इसलिए सल्तनत कालीन भारत पढ़ाया जाना बंद होना चाहिए(बंद भी हो रहा है मुगलों का फर्जी इतिहास) , तत्कालीन इतिहास हिन्दू प्रभुत्व का इतिहास है, इसे राजपूत कालीन इतिहास के नाम से भी पढ़ाया जा सकता है।

विश्व के अद्भुत और अद्वितीय महा महारथी - हिंदूपत..हिंदुत्व का सूर्य..100 युद्धों का विजेता राणा सांगा(एक आंख +एक हाथ +एक टांग क्षतिग्रस्त और 80 घाव पर भी काल की तरह युद्ध  लड़ने वाला महारथी- वाह महाराणा संग्राम.. आज जयंती पर शत् शत् नमन है। तुर्कों, अफगानियों और मुगलों  के काल - महा  महारथी राणा सांगा

दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की खतौली के युद्ध और बाड़ी (धौलपुर) के 

युद्ध में जमकर ठुकाई की ..इब्राहिम लोदी और अन्य मुस्लिम शासक नाम से काँपते थे.. इसलिए मध्य एशिया के भगोड़े और लतखोर तथाकथित बाबर (उजबेगों ने बाबर को दौड़ा - दौड़ा कर मारा था और समरकंद से 3 बार लतियाया.. )को बुलाया गया .. भारत में बाबर को राणा सांगा ने बयाना दुर्ग की लड़ाई और कनवाह के युद्ध खदेड़ - खदेड़ के मारा.. और खानवा के युद्ध में भी खदेड़ दिया था परंतु धोखा हुआ और अपने ही पराजय का कारण बने। बहरहाल शेष इतिहास फिर कभी.. आज तो जयंती पर शत् शत् नमन है 

लेखक - डॉ आनंद सिंह राणा

 
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