रेडक्रॉस : आपदा काल का भरोसेमंद दोस्त | The Voice TV

Quote :

तुम खुद अपने भाग्य के निर्माता हो - स्वामी विवेकानंद

Editor's Choice

रेडक्रॉस : आपदा काल का भरोसेमंद दोस्त

Date : 08-May-2025

 
विश्व रेडक्रॉस दिवस (8 मई) पर विशेष

रेडक्रॉस की स्थापना महान् मानवता प्रेमी जीन हेनरी डयूनेंट द्वारा की गई थी, इसीलिए उनके जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष विश्वभर में 8 मई का दिन ‘अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और संस्था की गतिविधियों से आम आदमी को अवगत कराने के प्रयास किए जाते हैं। रेडक्रॉस की स्थापना वर्ष 1863 में हुई थी और अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी दुनिया के सभी देशों में रेडक्रॉस आन्दोलन का प्रसार करने के साथ-साथ रेडक्रॉस के आधारभूत सिद्धांतों के संरक्षक के रूप में भी कार्य कर रही है।

8 मई 1828 को जन्मे डयूनेंट 1859 में हुई सालफिरोनो (इटली) की लड़ाई में घायल सैनिकों की दुर्दशा देख बहुत आहत हुए थे। युद्धभूमि में पड़े इन घायल सैनिकों के उपचार के लिए कोई चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। युद्ध मैदान में घायल पड़े इन्हीं सैनिकों के दर्दनाक हालात को देखकर उन्होंने ‘मेमोरी और सालफिरोनो’ नामक एक पुस्तक भी लिखी और 1863 में रेडक्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति ‘आईसीआरआई’ का गठन किया। डयूनेंट के सतत प्रयासों की बदौलत ही 1864 में जेनेवा समझौते के तहत ‘अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस मूवमेंट’ की स्थापना हुई।

डयूनेंट ने इटली में युद्ध के दौरान रक्तपात का ऐसा भयानक मंजर देखा था, जब चिकित्सकीय सहायता के अभाव में युद्धक्षेत्र में अनेक घायल सैनिक हृदयविदारक कष्ट से तड़प रहे थे। ऐसे घायलों की सहायता के लिए उन्होंने स्थायी समितियों के निर्माण की आवश्यकता को लेकर आवाज बुलंद की, जिसका असर भी दिखा। युद्ध में आहतों की स्थिति के सुधार के साधनों का अध्ययन करने के लिए उसके बाद एक आयोग का गठन किया गया। 1863 में जेनेवा में एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में रेडक्रॉस के आधारभूत सिद्धांत निर्धारित किए गए तथा रेडक्रॉस आन्दोलन का विकास करते हुए आहत सैनिकों और युद्ध पीड़ितों की सहायता संगठित करने हेतु दुनियाभर के सभी देशों में राष्ट्रीय समितियां बनाने पर जोर दिया गया।

नेपोलियन तृतीय के हस्तक्षेप के चलते अंतरराष्ट्रीय समिति ‘स्विस फेडरल काउंसिल’ को 8 अगस्त 1864 को जेनेवा में सम्मेलन बुलाने के लिए राजी करने में सफल हुई, जिसमें 26 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस सम्मेलन के चलते जेनेवा अधिवेशन हुआ, जिसमें सुरक्षा के प्रतीक रेडक्रॉस वाले सफेद झंडे पर स्वीकृति की मोहर लगाई गई, जो आज समस्त विश्व में रेडक्रॉस का प्रतीक चिन्ह बना हुआ है। शुरूआती दौर में रेडक्रॉस की भूमिका युद्ध के दौरान बीमार और घायल सैनिकों, युद्ध करने वालों और युद्धबंदियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना तथा उन्हें उचित उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराने तक ही सीमित थी किन्तु अब इस संस्था के दायित्वों का दायरा लगातार विस्तृत होता जा रहा है।

मानवीय सेवा को समर्पित रेडक्रॉस ने प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अनेक घायल सैनिकों तथा नागरिकों की सहायता कर अनुकरणीय उदाहरण पेश किया था। दुनिया के किसी भी भाग में जब भूकम्प, बाढ़, भू-स्खलन या अन्य किसी भी प्रकार की प्राकृतिक अथवा मानवीय आपदा सामने आती है तो सबसे पहले ‘अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी’ की टीमें वहां पहुंचकर राहत कार्यों में जुट जाती हैं। शांति और सौहार्द के प्रतीक के रूप में जानी जाने वाली इस संस्था ने अपने कर्मठ, समर्पित और कर्त्तव्यनिष्ठ स्वयंसेवकों के माध्यम से न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। फिलहाल 190 से भी अधिक देशों में ‘रेडक्रॉस’ संस्था सक्रिय है। भारत में ‘भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी अधिनियम’ के तहत वर्ष 1920 में रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ था और स्थापना के नौ वर्ष बाद इसकी सराहनीय गतिविधियों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस सोसायटी ने ‘भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी’ को मान्यता प्रदान की।

भारत में रेडक्रॉस की स्थापना के शुरूआती वर्षों में देश में रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष भारत के उपराष्ट्रपति होते थे किन्तु वर्ष 1994 में रेडक्रॉस एक्ट में संशोधन करते हुए सोसायटी का पदेन अध्यक्ष महामहिम राष्ट्रपति तथा सचिव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बनाया गया। वर्तमान समय में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की देशभर में 750 से अधिक शाखाएं मानवता की सेवा में जी-जान से जुटी हैं। रेडक्रॉस एक ऐसी स्वयंसेवी संस्था है, जो देश के किसी भी हिस्से में प्राकृतिक अथवा मानवीय आपदा के शिकार लोगों को बचाने व राहत पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और इसमें शामिल होने वाले कर्मठ स्वयंसेवकों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। विश्वभर में रेडक्रॉस के करीब एक करोड़ सत्तर लाख स्वयंसेवक हैं। यही कारण है कि रेडक्रॉस दिवस को ‘अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस’ भी कहा जाता है।

रेडक्रॉस लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करती है और अपनी विभिन्न शाखाओं के जरिये देशभर में जगह-जगह रक्तदान शिविर लगाकर प्रतिवर्ष बहुत बड़ी मात्रा में रक्त एकत्रित करती है। देश में रक्त एकत्रित करने तथा वही रक्त जरूरतमंद लोगों के लिए सही समय पर उपलब्ध कराने का कार्य यह संस्था कई दशकों से लगातार कर रही है। वास्तव में रक्त इकट्ठा करने वाली यह विश्व की एकमात्र सबसे बड़ी संस्था है, जिससे कैंसर, थैलेसीमिया, एनीमिया जैसी प्राणघातक बीमारियों से जूझ रहे हजारों लोगों की जान बचाई जाती हैं। रेडक्रॉस की पहल पर दुनिया का पहला ब्लड बैंक अमेरिका में 1937 में स्थापित हुआ था और वर्तमान में दुनियाभर के अधिकांश ब्लड बैंकों की देखरेख रेडक्रॉस तथा उसकी सहयोगी संस्थाओं द्वारा ही की जाती है। रेडक्रॉस देश के किसी भी भाग में मानवीय या प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों को बचाने तथा उन्हें राहत पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। रेडक्रॉस का मुख्य उद्देश्य जीवन तथा स्वास्थ्य की सुरक्षा करना एवं मानव मात्र का सम्मान सुनिश्चित करना है।

(लेखक - योगेश कुमार गोयल, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement