गुरुवार, 22 मई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का 32वाँ वार्षिक आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसकी देखरेख "जैव विविधता पर कन्वेंशन" संस्था द्वारा की गई। इस दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता की भूमिका को समझना, उसकी निरंतर होती क्षति के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसके संरक्षण एवं सतत उपयोग को बढ़ावा देना है।
इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस को पहली बार 1994 में मनाया गया था। 19 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प A/RES/49/119 पारित कर 29 दिसंबर को जैव विविधता दिवस घोषित किया, क्योंकि इसी दिन जैव विविधता पर कन्वेंशन प्रभावी हुआ था। हालांकि, वर्ष के अंत में छुट्टियों की अधिकता के कारण आयोजन में बाधाएँ आने लगीं, जिससे इसकी प्रभावशीलता प्रभावित होने लगी।
इस चुनौती को देखते हुए, 20 दिसंबर 2000 को महासभा ने संकल्प A/RES/55/201 पारित कर नई तिथि निर्धारित की और 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मान्यता दी गई। यह तिथि रियो डि जेनेरियो में 1992 को आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन में जैव विविधता पर सहमत पाठ को अपनाने की स्मृति में चुनी गई।
इस दिन को मनाने के लिए दुनियाभर में विभिन्न शैक्षिक और प्रचारात्मक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जैसे सेमिनार, व्याख्यान, सम्मेलनों, चर्चाओं और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से जैव विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य लोगों को जैव विविधता के संरक्षण के प्रति प्रेरित करना और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष इस दिवस के लिए एक विशेष विषय निर्धारित करता है, जो उस समय के सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता से संबंधित पहलुओं पर केंद्रित होता है। वर्ष 2025 के लिए यह विषय है: "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास।"