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सरकार्यवाह से लेखक तक: शेषाद्री जी की प्रेरक गाथा

Date : 26-May-2025

होन्गासान्द्रा वेंकेटरमैया शेषाद्री: समर्पित प्रचारक, लेखक और राष्ट्रसेवक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साहित्यिक और संगठनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले वरिष्ठ प्रचारक होन्गासान्द्रा वेंकेटरमैया शेषाद्री का जन्म 26 मई 1926 को बैंगलोर में हुआ। उन्होंने 1940 में मैसूर विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्वर्ण पदक के साथ एमएससी किया और 1943 में स्वयंसेवक बनकर संघ कार्य से जुड़ गए।

शेषाद्री जी ने प्रारंभिक कार्य बैंगलोर और कर्नाटक में किया, फिर दक्षिण भारत के विविध क्षेत्रों में सक्रिय रहे। 1987 से 2000 तक वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह रहे और इस दौरान भारत सहित विश्व के अनेक देशों में संघ कार्य का विस्तार किया। यादव कृष्ण जोशी से प्रभावित होकर उन्होंने राष्ट्रीय उत्थान परिषद की स्थापना की, जो संघ व हिंदू विचारधारा से संबंधित साहित्य के प्रकाशन में अहम भूमिका निभाती रही।

उन्होंने ‘विक्रम’, ‘उत्थान’, ‘ऑर्गनाइज़र’, ‘पाञ्चजन्य’ और ‘राष्ट्रीय धर्म मासिक’ में नियमित लेखन किया। पाठक उनके लेखों की प्रतीक्षा किया करते थे। उनकी 100 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुईं। विशेष रूप से उन्होंने संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी के व्यक्तित्व को साहित्य के माध्यम से जनसामान्य के सामने प्रस्तुत किया।

उनकी पुस्तक "The Tragic Story of Partition" को सीताराम गोयल और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी सराहा। उन्होंने संस्कृत के प्रचार, सेवाकार्य के विस्तार और राष्ट्रीय विचारधारा के प्रसार में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका निधन 2005 में हुआ, और उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए।

 

 
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