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बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

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चाणक्य नीति: सीख किसी से भी लें, चाहे वो बगुला ही क्यों न हो

Date : 28-May-2025

इन्द्रियाणि च संयम्य, बकवत्पण्डितो नरः ।

देशकाल बलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ॥

आचार्य बगुले से सोख के बारे में बता रहे हैं। बगुले के समान इन्द्रियों को वश देशका एवं बल को जानकर विद्वान अपना कार्य सफल करें।

भाया है कि बगुला सब कुछ भूलकर एकटक मछली को हो देखता रहता है और कालते हो उसे इशफ्ट लेता है। मनुष्य को भी काम करते समय अन्य सब बातों को भूतका केवात देश, काल और बल का विचार करना चाहिए।

देशा-इस स्थान पर इस काम को करने से क्या लाभ होगा? यहां इस वस्तु की कितनी है? इत्यादि पर विचार करना देश-स्थान पर विचार करना है। काल-समय, कौन-सा समय किस काम के लिए अनुकूल होगा? तथा बल-मेरी शक्ति कितनी है, मेरे पास कितना पैसा या अन्य साधन कितने हैं? इन सब बातों पर काम आरम्भ करने से पहले विचार कर लेना चाहिए।

 

 
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