पर्वतारोहण के इतिहास में 29 मई की तारीख मील का पत्थर है। माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है। न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाल के शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने 29 मई, 1953 को एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में सफल हुए थे। उन्हीं की स्मृति में हर साल 29 मई को इंटरनेशनल एवरेस्ट डे (अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस) मनाया जाता है। इसका एक अन्य उद्देश्य नेपाल के पर्यटन को बढ़ावा देना भी है। नेपाल में अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस पर हर साल पर्वतारोहियों को सम्मानित किया जाता है। एवरेस्ट की चोटी नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा पर है।
साल 2008 में एडमंड हिलेरी की मृत्यु के बाद उन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाने की शुरू हुई। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का यह सिलसिला आज भी जारी है। माउंट एवरेस्ट का नामकरण जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर है। वह 1830 से 1843 तक भारत के सरकारी सर्वेक्षण विभाग के डायरेक्टर थे। उन्हें हिमालय पर्वत को मापने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है। यह दिवस सिर्फ एडमंड हिलेरी और तेनजिंग शेरपा के विजय को ही सेलिब्रेट करने का नहीं, बल्कि यह पहाड़ पर चढ़ने के खतरों को बताने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है जिन्होंने इस सफर के दौरान अपनी जान गंवा दी। यह दिवस पर्वतारोहियों को एवरेस्ट चोटी फतह करने के लिए प्रेरित करता है। सन 1965 में भारतीय सेना के कैप्टन अवतार सिंह चीमा माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले भारतीय पुरुष हैं। वहीं बछेंद्री पाल इस चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
1953ः शेरपा तेनजिंग और न्यूजीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी ने इतिहास में पहली बार माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने में काबयाबी हासिल की।
इंटरनेशनल माउंट एवरेस्ट दिवस।