"बच्चे ही देश का भविष्य हैं" — यह वाक्य केवल एक विचार नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस हर साल 1 जून को दुनियाभर में मनाया जाता है।
यह दिन उन बच्चों को समर्पित है जो युद्ध, गरीबी, शोषण और अन्य सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इस अवसर पर समाज को बच्चों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और खुशहाल वातावरण सुनिश्चित करने का संदेश दिया जाता है।
उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस का मुख्य उद्देश्य है:
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बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए जनजागरण फैलाना
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बाल शोषण, बाल मजदूरी और हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाना
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समाज को यह याद दिलाना कि हर बच्चे को सुरक्षा, शिक्षा और पोषण पाने का अधिकार है
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दुनिया भर के बच्चों की भलाई और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए सामूहिक प्रार्थना और प्रयास करना
इतिहास
इस दिवस की शुरुआत 1949 में हुई थी, जब रूस की राजधानी मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ की एक बैठक में बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष दिन मनाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद 1 जून 1950 को पहली बार 51 देशों में एक साथ अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस मनाया गया।
तब से लेकर आज तक, यह दिन न केवल बच्चों के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन चुका है, बल्कि यह दुनिया भर के लोगों को यह याद दिलाता है कि बच्चों की परवरिश और संरक्षण एक साझा ज़िम्मेदारी है।
आयोजन और कार्यक्रम
इस दिवस को खास बनाने के लिए विभिन्न देशों में रचनात्मक और ज्ञानवर्धक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है:
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रूस (मॉस्को) में विशेष प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें बच्चों को पुरस्कार दिए जाते हैं।
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सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे नृत्य, संगीत, चित्रकला प्रदर्शनियों के ज़रिए बच्चों की प्रतिभा को मंच मिलता है।
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2007 से, मॉस्को के क्रेमलिन में “महागिरजा चौक” पर स्कूल छात्रों के लिए घुड़सवार और पैदल सैनिकों की ड्यूटी बदलने की भव्य परेड आयोजित होती है, जिसमें राष्ट्रपति रेजीमेंट के सैनिक भाग लेते हैं।
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2013 में, इस समारोह में क्रेमलिन अश्वारोहण विद्यालय के किशोर छात्रों ने भी हिस्सा लिया।
अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम बच्चों की देखभाल और संरक्षण को प्राथमिकता दें, ताकि वे भयमुक्त और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हर बच्चे को उसका बचपन, उसका अधिकार और उसका सपना पूरी गरिमा के साथ मिले।