गंगा दशहरा, हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, जो माता गंगा की पूजा को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में गंगा को मोक्षदायिनी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि गंगा का अवतरण भगवान शिव की जटाओं से हुआ था, इसलिए इस दिन शिवजी की पूजा करना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।
गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते हैं – जैसे निषिद्ध हिंसा, परस्त्री गमन, बिना अनुमति वस्तु लेना, कठोर वाणी बोलना, दूसरे के धन पर बुरी दृष्टि रखना, दूसरों का बुरा सोचना, व्यर्थ की बातों में हठ करना, झूठ बोलना, चुगली करना और दूसरों का अहित करना।
पुराणों के अनुसार इस दिन किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान और दान करना विशेष पुण्यदायी होता है। यदि व्यक्ति किसी पवित्र नदी तक न जा सके, तो वह घर के पास की नदी में स्नान करते हुए गंगा माता का स्मरण कर सकता है। अगर यह भी संभव न हो, तो घर में गंगाजल का स्पर्श या सेवन करने से भी गंगा का पुण्य प्राप्त होता है। मत्स्य, गरुड़ और पद्म पुराण में उल्लेख है कि हरिद्वार, प्रयाग या गंगा सागर में स्नान करने से मनुष्य मृत्यु के बाद स्वर्ग को प्राप्त करता है और उसे फिर जन्म नहीं लेना पड़ता, यानी वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
गंगा स्नान करते समय श्री नारायण द्वारा बताए गए मंत्र "ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः" का जप परम पुण्यदायक माना जाता है। स्नान से पहले सामान्य जल से नहा लेना चाहिए और फिर गंगा में केवल डुबकी लगानी चाहिए। गंगा नदी में साबुन लगाना वर्जित है।
मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद शरीर को कपड़े से नहीं पोंछना चाहिए, बल्कि जल को शरीर पर ही सूखने देना चाहिए। मृत्यु या जन्म के सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन महिलाओं को मासिक धर्म की स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।
घर में गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त करने के लिए स्नान के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
गंगा दशहरे के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। फिर स्वच्छ वस्त्र पहनकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। इस दिन शिवजी और गंगा माता की संयुक्त पूजा का विधान है। गंगा स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। पूजा के बाद जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।