भीमसेनी एकादशी: एक व्रत, सभी एकादशियों का फल | The Voice TV

Quote :

तुम खुद अपने भाग्य के निर्माता हो - स्वामी विवेकानंद

Editor's Choice

भीमसेनी एकादशी: एक व्रत, सभी एकादशियों का फल

Date : 06-Jun-2025
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी, भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से वर्ष भर की सभी एकादशियों के व्रतों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है, इसी कारण यह एकादशी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।

इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं। निर्जला एकादशी को सबसे कठिन एकादशियों में से एक माना गया है, क्योंकि इसमें व्रती को जल तक ग्रहण नहीं करना होता। यह व्रत दीर्घायु, मोक्ष और समस्त पापों से मुक्ति का मार्ग माना गया है। श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान करने का विशेष महत्व है, विशेष रूप से जल से भरे कलश का दान करने से पूरे वर्ष की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

इस वर्ष यह व्रत अत्यंत शुभ योग और नक्षत्रों के संयोग में रखा जाएगा, जिससे इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है। व्रत के साथ-साथ यह तिथि जल के महत्व का भी संदेश देती है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत मंगलवार, 18 जून 2024 को रखा गया था, जबकि वर्ष 2025 में यह व्रत शुक्रवार, 6 जून को मनाया जाएगा।

साल में सामान्यतः 24 एकादशी तिथियां होती हैं और अधिकमास में इनकी संख्या 26 तक हो जाती है। इन सभी में निर्जला एकादशी को कठिन व्रत माना गया है, क्योंकि इसमें सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न और जल का पूर्ण त्याग किया जाता है। इस दिन त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र जैसे विशेष योग बन रहे हैं, जो पूजा और व्रत को और भी फलदायी बनाते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों में सबसे बलशाली भीमसेन को स्वादिष्ट भोजन का अत्यधिक शौक था, जिस कारण वे एकादशी का व्रत नहीं रख पाते थे। उनके सभी भाई और द्रौपदी नियमित रूप से एकादशी व्रत रखते थे। अपनी इस कमजोरी से दुखी होकर भीम महर्षि व्यास के पास पहुंचे। महर्षि व्यास ने उन्हें ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी, जिससे उन्हें सभी एकादशियों के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो सके। तभी से यह व्रत ‘भीमसेनी एकादशी’ के नाम से जाना जाता है।
 

हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून को रात 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार निर्जला एकादशी 6 जून को ही मानी जाएगी। व्रत का पारण 7 जून को किया जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement