दामोदर गणेश बापट एक महान सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपना जीवन समाज के सबसे उपेक्षित और पीड़ित वर्ग की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जन्म 29 अप्रैल 1935 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के पाथरोट गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय गणेश विनायक बापट और माता का नाम स्वर्गीय लक्ष्मी बाई गणेश बापट था।
दामोदर बापट ने अपना जीवन कुष्ठ रोगियों की सेवा में समर्पित कर दिया और उन्होंने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले में स्थित भारतीय कुष्ठ निवारक संघ से जुड़कर कुष्ठ रोगियों की सेवा के कार्य में लगे रहे। उन्होंने न केवल कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा और पुनर्वास में योगदान दिया, बल्कि समाज में फैली उनके प्रति असंवेदनशीलता और भेदभाव को दूर करने के लिए भी निरंतर प्रयास किए।
दामोदर बापट का जीवन सादगी, करुणा और मानवता की मिसाल रहा। वे रोगियों के लिए आश्रय, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सामाजिक सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में सक्रिय रहे। उनका उद्देश्य सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि उन लोगों को फिर से समाज की मुख्यधारा में लाना था जिन्हें समाज ने लंबे समय तक तिरस्कृत किया।
दामोदर बापट के अनुकरणीय कार्यों और मानवीय सेवा के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान से अलंकृत किया गया। उनका जीवन आज भी सामाजिक सेवा के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है और उनकी कहानी हमें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।
दामोदर बापट की मृत्यु 24 नवंबर 2007 को हुई थी, लेकिन उनकी विरासत और उनके कार्य आज भी जीवित हैं और समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।