मंदिरश्रृंखला: पंचकेदारों में अंतिम – कल्पेश्वर महादेव | The Voice TV

Quote :

बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

Editor's Choice

मंदिरश्रृंखला: पंचकेदारों में अंतिम – कल्पेश्वर महादेव

Date : 25-Aug-2025

मध्य हिमालय में स्थित उत्तराखंड राज्य भारत के सबसे धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां हिंदू धर्म के अनेक प्रमुख मंदिर हैं जिनमें से एक है कल्पेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर उत्तराखंड में चमोली जिले की उर्गम घाटी में पड़ता है और उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार (केदारनाथ, रुद्रनाथतुंगनाथ, मद्महेश्वर और कल्पेश्वर) में से अंतिम केदार है और पंचकेदारों में एकमात्र मंदिर है जो पूरे साल भर खुला रहता है।

 यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। इस मंदिर को आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य का उदाहरण माना जाता है।

कल्पेश्वर मंदिर का इतिहास                        

कल्पेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। मंदिर में शिवलिंग है जो अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर के नाम का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।

मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए पांडवों ने इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहा, लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे - पीछे वहीं आ पहुंचे।

तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया जो कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में आज भी मौजूद है। बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के पांच विभिन्न हिस्सों में दिखाई दिए। उन सभी क्षेत्रों में आज भगवान शिव के मंदिर हैं और इन्ही पांच क्षेत्रों को पंचकेदार के नाम से भी जाना जाता है।

कूबड़ केदारनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, हाथ/भुजाएं तुंगनाथ में, जटाएं/केश कल्पेश्वर में और नाभि मदमहेश्वर में दिखाई दिए। ये सभी जगहें पंच केदार के नाम से जानी जाती हैं और हर वर्ष इन सभी मंदिरों के कपाट खुलते हैं और हज़ारों-लाखो की संख्या में यहां शिवभक्त पहुंचते हैं।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement