मां कुष्मांडा मंत्र: जाप से मिलता है स्वास्थ्य और खुशहाली का वरदान, जानें इसका महत्त्व
शारदीय नवरात्रि 2022 के चौथे दिन:
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना विशेष रूप से की जाती है। उनके मंत्रों का नियमित उच्चारण करने से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और निरोग रहने का आशीर्वाद मिलता है।
मां कुष्मांडा का परिचय:
इस दिन माता कुष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है। उनके चेहरे पर एक सौम्य मुस्कान दर्शाती है कि वे सृष्टि की जननी हैं। पुराणों के अनुसार, उन्होंने अपने उदर से संसार का सृजन किया, इसलिए उन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है। जो लोग संतान सुख के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, उनके लिए यह पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
मां कुष्मांडा के मंत्र:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।
बीज मंत्र:
ऐं ह्री देव्यै नमः
मंत्र जाप से प्राप्त फल:
मां कुष्मांडा, जिनके आठ हाथ हैं, उन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में भी जाना जाता है। उनके जाप से रोग-व्याधि दूर होती हैं और जीवन में स्वास्थ्य, यश, शक्ति तथा समृद्धि आती है। माता अपनी भक्तों की सच्ची श्रद्धा और समर्पण से शीघ्र प्रसन्न होती हैं। उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। जो लोग निरंतर परेशानियों और कष्टों से जूझ रहे हैं, उनके लिए मां कुष्मांडा की पूजा अत्यंत लाभकारी है।
महत्वपूर्ण: यहां दी गई जानकारी धार्मिक विश्वासों पर आधारित है। कृपया किसी भी कदम से पहले योग्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
