नवरात्रि के नौवें दिन यानी 1 अक्टूबर 2025 को मां दुर्गा के नौंवें स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष विधान होता है। इस दिन उनकी पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। नवमी के दिन कन्या पूजन और हवन का भी आयोजन किया जाता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में अंतिम दिन मां दुर्गा की नौंवीं शक्ति, मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है।
यह वर्ष 2025 में बुधवार, 1 अक्टूबर को होगा। कई भक्त इस दिन कंजक पूजन और हवन करते हैं। मां सिद्धिदात्री दुर्गा के सभी रूपों में सबसे शक्तिशाली और दिव्य मानी जाती हैं। कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या से भगवान शिव को आठ सिद्धियां प्राप्त हुईं, जिसके कारण उनका आधा शरीर देवी स्वरूप हो गया और उन्हें अर्धनारीश्वर कहा गया।
देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। महा नवमी पर जो भक्त व्रत कथा का पाठ करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता आती है।
कथा के अनुसार, मां सिद्धिदात्री का प्राकट्य तब हुआ जब देवताओं को महिषासुर के अत्याचार से मुक्ति के लिए भगवान शिव और विष्णु के पास शरण लेनी पड़ी। उनकी तपस्या और देवताओं के तेज से मां सिद्धिदात्री प्रकट हुईं।
माना जाता है कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठिन तपस्या की और उनसे आठ सिद्धियां प्राप्त कीं। इन सिद्धियों के बाद शिवजी का आधा शरीर देवी का रूप धारण कर लिया था, इसलिए उन्हें अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है। इसी कारण शिवजी के कई नामों में अर्धनारीश्वर शामिल है।
