भारत के मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद की फसल ? | The Voice TV

Quote :

पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है - अज्ञात

Editor's Choice

भारत के मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद की फसल ?

Date : 14-Nov-2025

आचार्य संजय तिवारी

भारत के भीतर। भारत के ही कुछ लोग। खूब शिक्षित भी। इतने कि जिसे विश्व की सर्वोच्च डिग्री भी कहा जाता है। पेशे के रूप में भगवान का दर्जा। जाति से पुरुष भी। स्त्री भी। लेकिन आदमी नहीं, केवल आतंकवादी। कर्म से भी। सोच से भी। ये भारत में ही पैदा किए जा रहे। बड़ी संख्या में। इन्हें भटके हुए युवा नहीं कह सकते। इनके भीतर भारत और मनुष्यता है ही नहीं। ऐसे लोगों के लिए अब कोई काले कोट वाला भारतीय किसी अदालत में खड़ा दिखे तो देश की जनता को उससे प्रश्न भी करना चाहिए। दिल्ली फिर दहली है। 11 जानें भी गई हैं। पता चल रहा है कि कश्मीर के मेडिकल कॉलेज में एक शिक्षक भी रहा है। उसके साथ लखनऊ समेत कई बड़े शहरों के डॉक्टरों का आतंकी नेटवर्क इतना बड़ा? लगभग तीन हजार किलो विस्फोटक के साथ अभी खुलासों का सिलसिला ही शुरू हुआ था कि सांझ होते होते दिल्ली पर ही हमला ? तारो के जुड़ने की कहानी पुलवामा और अनंतनाग तक पहुंच गई।

इससे पहले कि इस घटना पर कुछ बात की जाए, भारत की सीमाओं पर इन सर्द रातों में प्राणों को कफन ओढ़ा कर पहरा देने वाले भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को नमन करना चाहिए। बाहरी दुश्मनों को रोकने में वे तो कामयाब हैं लेकिन भीतर?

जब यह कहानी लिख रहा हूं, भोर के चार बजे हैं। सुबह होने को है। मुझे ठीक से पता है कि इस रात भारत में ऐसे लाखों लोग होंगे जिन्हें नींद नहीं आई होगी। आधी रात तक अलग अलग माध्यमों से अपडेट जानने के बाद लाखों आंखों से नींद गायब ही रही होगी। दो लोग और हैं। नरेंद्र दामोदर दास मोदी और अमित अनिल चंद्र शाह। ये पल पल की जानकारी लेते, निर्देश देते और कुछ बड़ी योजना पर चिंता करते हुए अभी भी कुछ अवश्य कर रहे होंगे। ये दोनों ही अद्भुत व्यक्ति हैं। सोशल मीडिया पर कुछ परंपरागत प्रश्नकर्ता, बुद्धिजीवी उल्टियां कर रहे हैं। वे उसी जमात से जुड़े लोग हैं जिनको जेएनयू में अब विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र नहीं चाहिए। जेएनयू में इस बात को दो दिनों से खूब उछाला जा रहा है। अनंतनाग के मेडिकल कॉलेज से लेकर जेएनयू तक भारत को टुकड़े करने की शिक्षा प्रदाता कौन सी एजेंसियां हैं?

भारत के प्रधानमंत्री की नीति, उनके नियोजन और रणनीति से दुनिया परिचित है। भितरघाती संक्रमणकर्ता उनको समझ ही नहीं सकते। भारत के गृहमंत्री ने सुबह सुरक्षा एजेंसियों की एक उच्चस्तरीय बैठक की घोषणा भर की थी रात को। तत्काल पड़ोसी आतंकी मुल्क की सरकार ने भी बड़ी बैठक आहूत कर ली। यह हाल तब है जब किसी आतंकी संगठन का नाम अभी तक भारत की किसी एजेंसी ने नहीं लिया है। अभी केवल प्राथमिक सूचना ही दर्ज की गई है।

विश्व को मालूम है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। विश्व को भारत पहले ही बता चुका है कि भारत के भीतर की आतंकी घटना को भारत के विरुद्ध युद्ध ही माना जाएगा और इसका प्रत्युत्तर भारत देगा भी। विश्व को यह भी मालूम है कि भारत के गृहमंत्री कौन हैं और ऐसी घटनाएं जब होती हैं तो आंतरिक सुरक्षा के लिए वह किस हद तक जा सकते हैं। भारत को नक्सलमुक्त बनाने वाले अमित अनिलचंद्र शाह को भीतर के आतंकियों और घुसपैठियों से अच्छे से निपटना भी आता है। वह केवल कहते नहीं, कर के दिखाते भी हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण दिल्ली में शाम को हुई घटना के बाद से अब तक देश और दुनिया में होने वाली हलचलों से जान सकते हैं।

यहां यह याद दिलाना बहुत उचित लगता है कि ऑपरेशन सिंदूर को स्थगित करते समय ही भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत के भीतर किसी प्रकार की आतंकी घटना होती है तो उसे प्रत्यक्ष युद्ध ही माना जाएगा। तो स्पष्ट है कि युद्ध शुरू कर दिया उन्होंने। भारत जवाब तो देगा ही।

दुख और चिंता इस बात पर ज्यादा हो रही कि भारत के भीतर भारत के विरुद्ध इतनी भारी संख्या होगी, यह कोई नहीं सोचता था। तुष्टिकरण में डूबे राजनीतिज्ञों को देश से बड़ा उनका वोटबैंक बनेगा? भारत के मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और टॉप यूनिवर्सिटीज में जनता के टैक्स के धन से सब्सिडी और वजीफा लेकर मेडिकल, तक तकनीकी और उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं में एक जमात केवल भारत के विरुद्ध आतंकी साजिश रचेगी?

ये न तो मासूम हैं, न ही कही से भटके हुए। कश्मीर से गुजरात, हरियाणा, मुंबई, लखनऊ और न जाने कहां कहां तक इन्होंने विस्फोटकों का जखीरा किसके संरक्षण में जमा किया होगा। डॉक्टर वह भी महिला और उसकी गाड़ी में एके 47। देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे आतंकियों के लिए कैसे कैसे चेहरे, कैसे कैसे तर्क लेकर मीडिया, सोशल मीडिया और अदालतों तक आते हैं। यह सभी भारतवासियों का नैतिक दायित्व बनता है कि ऐसे चेहरों को कैसे सबक सिखाना है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement