भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक देश का नेतृत्व करने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई में हुआ था। भारतीय राजनीति के दिग्गज और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक माने जाने वाले प्रसाद अपनी विनम्रता, बुद्धिमत्ता और राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक मेधावी छात्र के रूप में उन्होंने वकालत से शुरुआत की, लेकिन राष्ट्र प्रेम की भावना ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम की ओर मोड़ दिया। महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी के रूप में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1906 में बिहारी छात्र सम्मेलन के गठन में अहम योगदान दिया, जो राष्ट्रीय आंदोलन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उन्हें संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया, जहाँ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में मार्गदर्शन किया और खाद्य एवं कृषि समिति का भी नेतृत्व किया। 26 जनवरी 1950 को जब वे राष्ट्रपति बने, तो उनका कार्यकाल निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक बन गया। सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी उनकी जीवनशैली अत्यंत सादगीपूर्ण रही। दो कार्यकाल पूरे करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से हटकर पटना के सदाकत आश्रम में रहने लगे, जहाँ 28 फरवरी 1963 को उन्होंने अंतिम सांस ली। एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता के रूप में उनकी विरासत और जनसेवा के प्रति उनकी निष्ठा आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
