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मध्‍य प्रदेश में औद्योगिक उछाल और नई आर्थिक दृष्टि

Date : 07-Dec-2025



-डॉ. मयंक चतुर्वेदी

13 दिसंबर 2023 को जब डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब प्रदेश एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा था। जनता अरसे से ऐसी नेतृत्व शक्ति की प्रतीक्षा में थी जो विकास को स्थायी नीति और जमीन पर दिखने वाले परिवर्तन के रूप में स्थापित करे। भाजपा ने उस समय जो निर्णय लिया, वह आज दो वर्षों बाद अधिक सार्थक प्रतीत होता है। मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. यादव ने यह प्रमाणित किया है कि मजबूत इच्छाशक्ति, निर्णायक प्रशासन और विकास के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता हो तब परिवर्तन अनिवार्य रूप से संभव हो जाता है। लोककल्याणकारी राज्य की जो परिकल्पना भारतीय राजनीति का मार्गदर्शक रही है, उसे वास्तविक अर्थों में मूर्त रूप देने की दिशा में इन दो वर्षों में मध्य प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।

डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभालते ही प्रदेश में निवेश और औद्योगिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। यह स्पष्ट है कि वे आर्थिक स्फूर्ति को राज्‍य की नई पहचान बनाना चाहते हैं। सरकार के शुरुआती दिनों में ही जिस तेजी से कदम उठाए गए, उसने निवेशकों और उद्योग जगत में नया विश्वास पैदा किया। सत्ता संभालने के मात्र छह महीनों के भीतर केन–बेतवा नदी जोड़ परियोजना के लिए त्रिपक्षीय समझौता सम्पन्न करना यह साबित करता है कि सरकार इरादे में भी स्पष्ट थी और कार्यशैली में भी। यह परियोजना आने वाले वर्षों में बुंदेलखंड जैसे अति पिछड़े और सूखा प्रभावित क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदलने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

विकास के नए मॉडल का सबसे बड़ा संकेत वह ऐतिहासिक फैसला है, जिसके तहत सेहोर जिले की आष्टा तहसील में लगभग 60,000 करोड़ रुपये की एथेन क्रैकर परियोजना को मंजूरी दी गई। यह मध्य प्रदेश के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। वहीं, पूरे देश के पेट्रोकेमिकल सेक्टर में भी महत्वपूर्ण ठहरती है। इस परियोजना से रोजगार के हजारों अवसर निर्मित होंगे, साथ ही प्रदेश को औद्योगिक मानचित्र पर एक नए केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी यह बड़ा कदम है। यह परियोजना संकेत देती है कि सरकार छोटे निवेशों के साथ ही उच्च-स्तरीय औद्योगीकरण को लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रही है।

इन दो वर्षों में सरकार ने नीति निर्माण को भी एक सतत प्रक्रिया की तरह व्यवस्थित किया। वर्ष 2025 में औद्योगिक संवर्धन नीति का नया संस्करण लागू किया गया, जिसने निवेशकों को अनेक सुविधाएं दीं, उन्हें यह भरोसा दिलाया कि मप्र अब प्रतिस्पर्धी राज्यों की कतार में मजबूती से खड़ा है। टेक्सटाइल, फार्मा, बायोटेक, ईवी, रक्षा उद्योग जैसे आधुनिक क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने वाली नीतियाँ इसी सोच का परिणाम है। साथ ही मोहन सरकार ने नीतियों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार किया, अनुमति प्रणाली को सरल बनाया और निवेशकों के लिए सिंगल विंडो प्रणाली को प्रभावी रूप से लागू किया है।

इस दौरान राज्य में औद्योगिक भूमि आवंटन को भी पहले से कहीं अधिक सुव्यवस्थित और तेज बनाया गया। औद्योगिक पार्कों का विस्तार, स्किल पार्कों की स्थापना, क्लस्टर विकास और परिवहन-सुविधाओं का आधुनिकीकरण इन सभी पर समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है। डॉ. मोहन यादव कई अवसरों पर कहते भी दिखे हैं कि औद्योगिक विकास केवल पूंजी निवेश से नहीं होता; उसके लिए अनुकूल वातावरण, त्वरित प्रशासनिक समर्थन और मानव संसाधन की उपलब्धता भी उतनी ही आवश्यक होती है।

यही कारण भी है जो आज मप्र एमएसएमई क्षेत्र में भी इन दो वर्षों में नीति-सुधार और सरकारी समर्थन से नई गति पकड़ता दिखाई देता है। कहना होगा कि लघु और मध्यम उद्योग रोजगार सृजन का प्रमुख आधार हैं, यह ग्रामीण-शहरी आर्थिक संतुलन के भी महत्वपूर्ण वाहक हैं। सरकार ने इन उद्योगों को ब्याज छूट, कर-रियायत, सब्सिडी और सरल प्रक्रियाओं का लाभ देकर यह सुनिश्चित किया कि वे वैश्विक और राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें। टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहन मिलने से बड़ी संख्या में युवाओं, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर विकसित हुए हैं। फिर औद्योगिक विकास तभी स्थायी हो सकता है जब उसकी रीढ़ मजबूत आधारभूत संरचना हो।

अब इस दृष्टि से देखें तो प्रदेश सरकार ने सड़क, बिजली, जल और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं में भी उल्लेखनीय सुधार किया है। बिजली कटौती में कमी, नई उपस्टेशन इकाइयों की स्थापना, औद्योगिक क्षेत्रों में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था और नई सड़कों-पुलों का निर्माण इन सबने मिलकर विकास को गति देने में अहम योगदान दिया है। साथ ही, डिजिटल गवर्नेंस के स्तर पर भी अभूतपूर्व सुधार किए गए हैं। सरकारी पोर्टलों का विस्तार, ऑनलाइन सेवाओं की बढ़ोतरी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाले तकनीकी उपायों ने निवेशकों के लिए एक सहज, भरोसेमंद वातावरण तैयार किया है।

डॉ. मोहन यादव की सरकार का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि उन्होंने विकास को केवल उद्योग और पूंजी निवेश तक सीमित नहीं रखा। कृषि, उद्यानिकी, डेयरी, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी विकास के लिए स्पष्ट रणनीतियाँ अपनाई गईं। किसान-हितैषी निर्णय, समर्थन मूल्य नीति में सुधार, सिंचाई विस्तार, जैविक कृषि को बढ़ावा और सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता बढ़ाने जैसे प्रयासों ने प्रदेश की आर्थिक संरचना को अधिक व्यापक और स्थाई बनाया है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने और इसकी आधारभूत संरचना को मजबूत करने से रोजगार और स्थानीय आय में वृद्धि की संभावनाएँ भी बढ़ी हैं।

प्रदेश की युवा शक्ति को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास को विशेष महत्‍व दिया जा रहा है। स्किल पार्कों का निर्माण, आईटी और सेवाक्षेत्र पर जोर, और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने की नीतियाँ इस सोच का हिस्सा हैं। इसीलिए ही इन दो वर्षों में मध्यप्रदेश में स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी है और निवेशकों की रुचि भी बढ़ी है जो इस नीति की सफलता का प्रमाण है। वहीं, इन सभी उपलब्धियों के बाद भी चुनौतियाँ कुछ कम नहीं हैं। यहां अच्‍छा यह है कि सरकार ने उन चुनौतियों को पहचाना है, उनके समाधान की दिशा में योजनाएं बनाकर कार्य किया जा रहा है जो राज्‍य की अर्थव्यवस्था को उन्नति की दिशा में लगातार अग्रसर करने का आज मुख्‍य कारण है।

इन दो वर्षों का सार यह है कि मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में जो नेतृत्व दिया, वह प्रदेश हित में प्रभावी और परिणामकारी है। उनकी कार्यशैली ने साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, नीतिगत स्पष्टता और जमीनी क्रियान्वयन इन तीन स्तंभों पर आधारित नेतृत्व किसी भी राज्य की दिशा और दशा बदल सकता है। भाजपा का उन पर भरोसा वाकई प्रदेश के हित में ठहरा है। अत: आज मप्र जिस औद्योगिक और आर्थिक गति से आगे बढ़ रहा है, वह बताता है कि आने वाले वर्षों में यह राज्य निवेश, उद्योग, रोजगार और समग्र विकास का ऐसा केंद्र बन जाएगा, जिसकी कल्पना कुछ दशक पहले कठिन थी। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश ने यह साबित किया है कि नई ऊर्जा, नई सोच और नई नीति के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।

 
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