वृक्षारोपण या पौधारोपण ये वही वेक्सिन है जो हमारे पर्यावरण को बचा सकती है। भारत में हर साल 1 से 7जुलाई तक वन महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष 1 जुलाई को 16वें अंतरराष्ट्रीय वृक्षारोपण दिवस के अवसर पर भारत एवं पूरे विश्व ने लाखों की संख्या में पौधे लगाए हैं। पर क्या वाकई में वो लाखों पौधे जीवित रह पाते हैं? वृक्षों को केवल औपचारिकता या सोशल मीडिया में दिखावे के लिए लगा देना और फिर उनकी देखभाल न करना ,यह तो वृक्षों का रोपण नही बल्कि इनका अ+रोपण है।ठीक उसी तरह जैसे कोई मां अपने अनचाहे बच्चे को जन्म के बाद फेंक देती है,किसी कीचड़ में या किसी कचड़े के डिब्बे में और फिर वह पलटकर भी नही देखती कि उसका बच्चा जिंदा भी है या नहीं।हम भी तो ठीक ऐसा ही करते हैं।नर्सरी से लाते हैं कुछ छोटे छोटे मासूम से नन्हेंनन्हें पौधे और रोप देते हैं उन्हें कहीं भी और कैसे भी।इसके बाद शुरुआत होती है फोटो_अभियान की । जिसमें एक पौधे के साथ 10_10 लोग फोटो खिंचवाने में लग जाते हैं। उस समय लोग इतने उदार हो जाते हैं जैसे एक अनाथ बच्चे को 10_10 लोगों ने मिलकर गोद ले लिया हो। एक पौधे की जिम्मेदारी पूरा समूह ले लेता है।पर कब तक?सिर्फ और सिर्फ फोटो खिंचने तक और उसके बाद?कोई खबर तक नहीं लेता उस नन्हीं सी जान की।क्या उस नन्हीं सी जान का दर्द कोई महसूस कर सकता है। एक पल में ही कितनी खुशियां मिल जाती हैं उसे,जाने कितने ही मीठे_मीठे सपने सज जाते हैं उसकी अधखुली आंखों में, कि वह भी जब बड़ा होगा तो उसकी भी फलों से लदी हरी हरी शाखाएं होंगी,उसकी ठंडी छांव तले भी जाने कितने राहगीर अपनी थकान मिटाएंगे, पक्षीगण उसमें अपना घरौंदा सजाएंगे,सावन में उसकी डाल पर भी सावन सुंदरियां झूला झुलेंगी,छोटेछोटे बच्चे उसके पीछे छुपकर छुपन_छुपाई खेलेंगे।पर हकीकत तो कुछ और ही है। वह तो अकेला और बेसहारा है। न कोई उसे पानी देने वाला है, न ही कोई उसकी देखभाल करने वाला है।फिर वह इंतजार करेगा कि दस पालनहारों में से कोई तो आयेगा उसका हाल पूछने, उसे देखने।पर कोई नहीं आता और इसी इंतजार में हो जाता है एक वृक्ष का रोपण से अ+रोपण।
वृक्षारोपण या पौधारोपण
तो बताइए कितना सार्थक और सफल है यह अभियान। ऐसा करके न केवल अपने आपको बल्कि आने वाले कल को भी छल रहे हैं। प्रकृति हमारी माता है और वो अपने बच्चों के साथ कभी छल नही करती ,तो फिर हम अपनी धरती मां के साथ ऐसा क्यों करते हैं? क्यों अपने दायित्वों को पूरा नहीं करते?
आइए हम सब संकल्प लें कि अपनी आने वाली पीढ़ी को कम से कम एक पेड़ की वसीयत जरुर देकर जायेंगे। एक ही पेड़ लगाएं पर उसकी अच्छी तरह देखभाल करें। उसे भी अपने जीवन का हिस्सा समझें,क्योंकि भविष्य में जीवित रहने के लिए पैसों से ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होगी, और हां पेड़ लगाते समय एक बात का और ध्यान रखें कि वह पर्यावरण के लिए कितना उपयुक्त है। हम सबके इस छोटे से किन्तु अनमोल प्रयास से ही इस पृथ्वी को बचाया जा सकता है।
लेखिका - रौशनी दीक्षित