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सपनों को हकीकत में बदलने से पहले, सपनों को देखना ज़रूरी है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

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अधिकमास समाप्त

Date : 16-Aug-2023

अधिकमास का शुक्ल पक्ष शुरु होने के साथ ही यह आज इसकी समाप्ति है. अधिकमास 18 जुलाई से शुरू हुआ था, यह अब कल समाप्त होने वाला है . शास्त्रों में इस पुरूषोत्तम मास का बहुत महत्व बताया गया है.

अधिकमास के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है लेकिन इस समय भक्ति के काम अत्यंत ही शुभ होते हैं. इस दौरान पूजा करने वाले लोगों को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है.

सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए हर तीन साल में अधिकमास आता है.भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में अतिरिक्त मास आता है, जिसे अधिकमास कहते हैं.

मंत्र जाप ओर पूजा उपायों से मिलेगा लाभ 
इस माह के समाप्त होने से पहले अगर कुछ कार्यों को कर लिया जाए तो भगवान पुरूषोत्तम की पूजा करने वाले को सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं. इसके अलावा पुरूषोत्तम मास के दौरान नियमित रूप से भगवान के इस मंत्र का जाप भी करना चाहिए

अधिक मास में मंत्र जाप " गोवर्धन धरम वन्दे गोपालम गोपरूपिणम. गोकुलोत्सव मीषाणां गोविंद गोपिकाप्रियम्." इस मंत्र का जाप करने से उस व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और उसके सभी काम बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं.

अधिकमास में किए गए उपाय जीवन भर सुख, संपत्ति और समृद्धि प्रदान करते हैं. अधिकमास में एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत 3 साल में एक बार आता है. अधिकमास के कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष को जल-दूध से सींचें और शाम को उसमें दीपक जलाकर मंत्र का जाप करना चाहिए.   
 
अधिकमास में अष्टमी के दिन उपाय करने से धन की कमी दूर हो जाती है. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है. पितरों के आशीर्वाद से साधक कई गुना उन्नति करता है.अधिकमास में नवमी के दिन तीर्थ स्नान करने से आरोग्य और अमृत की प्राप्ति होती है

अधिकमास की द्वादशी के दिन विष्णु लक्ष्मी का पूजन एवं कथा क्रना शुभ होता है. इस दिन किसी तीर्थ स्थल पर पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति का सुख मिलना संभव होता है

यदि घर में क्लेश रहता हो, परिवार की सुख-शांति को किसी की नजर लग गई हो तो अधिकमास में मंदिर में ध्वजा दान करनी चाहिए ऎसा करने से कष्टों से निजात मिलता है. शत्रुओं का भय समाप्त होता है. दीपदान भी करना सकारात्मक शक्तियों को प्रदान करने वाला होता है

 
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