नाग पंचमी का त्यौहार नागों का त्यौहार होता है. भारत, नेपाल और अन्य देशों में जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी रहते हैं वे सभी इस दिन पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा करते है, और परिवार के कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद की मांग की जाती है. इस दिन नाग देवता के दर्शन किये जाते हैं, जिसका लोगों के बीच बहुत महत्व है इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी छिपी हुई है.
कैसे हुई सांपों की उत्पत्ति
भविष्य पुराण के अनुसार, महर्षि कश्यप की कई पत्नियां थी जिनमें से एक का नाम कद्रू और दूसरी का नाम विनिता था। एक बार महर्षि कश्यप ने अपनी पत्नी कद्रू की पत्नी को प्रसन्न होकर उन्हें तेजस्वी नागों की माता बनने का वरदान दिया। इस तरह हई सांपों की उत्पत्ति हुई। वहीं, ऋषि कश्यप की दूसरी पत्नी विनिता। पक्षीराज गरुड़ की माता बनी। कद्रू और विनिता के बीच हमेशा ही ईर्ष्या रहती थी।
माता कद्रू और विनिता में अश्वरत्न के रंग को लेकर विवाद होने लगा. माता कद्रू ने कहा कि अश्वरत्न के केश काले रंग के हैं, जबकि विमाता इससे इनकार करतीं. तब माता कद्रू ने कहा कि यदि उनकी बात गलत सिद्ध हो जाए, तो वे विनिता की दासी बन जाएंगी और ऐसा नहीं हुआ तो विनिता उनकी दासी बन जाएगी.
माता कद्रू ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए नागों से कहा कि वे बाल की तरह ही बहुत पतले होकर अश्वरत्न के शरीर में लिपट जाओ, लेकिन नागों ने ऐसा नहीं किया. तब माता कद्रू क्रोधित हो गईं और नागों को श्राप दे दिया. उन्होंने कहा कि राजा जनमेजय जब नाग यज्ञ करेंगे, तो तुम सब उस अग्नि में भस्म हो जाओगे |
इस श्राप से परेशान होकर सभी नाग ब्रह्मा जी के पास गए. उन्होंने इस श्राप से मुक्ति का मार्ग पूछा. तब ब्रह्मा जी ने बताया कि आस्तीक मुनि तुम सभी के प्राणों की रक्षा करेंगे. जब राजा जनमेजय ने नागों को भस्म करने के लिए नाग यज्ञ प्रारंभ किया और अग्निकुंड में आहुति के लिए मंत्रोच्चार करने लगे तो नाग जलने लगे |
तब आस्तीक मुनि ने उन नागों के जीवन की रक्षा की. उनके जलन को शांत करने के लिए उन्होंने नागों पर दूध डाला. आस्तीक मुनि ने सावन शुक्ल पंचमी को नागों के जीवन को बचाया था, इसलिए हर साल इस तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है और नागों को दूध अर्पित किया जाता है |
पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन व्रत रखें और भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन व्रत रखने से सांपों का डर मन से समाप्त हो जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अवश्य ही अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए। नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे से नाग देवता की मूर्ति को दूध और जल चढ़ाना चाहिए। संभव हो तो मंदिर में चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा रखकर उसका पूजन-अभिषेक करें। इससे नाग देवता और शिव जी दोनों प्रसन्न होते हैं।
महत्त्व
नाग पंचमी का त्यौहार सावन में मनाया जाता हैं. श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा की जाती हैं. किन्तु भारत के कुछ स्थानों पर नाग पंचमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी मनाई जाती है, और कुछ जगह पर जैसे गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी के 3 दिन पहले और बहुला चौथ व्रत के अगले दिन नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस तरह से नाग पंचमी का त्यौहार का महत्व अलग – अलग स्थान के लोगों में अलग – अलग है. वे अपने रीतिरिवाजों के अनुसार इसे मनाते हैं. इस दिन नाग देवता के दर्शन करना शुभ माना जाता है.