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विश्व कैंसर दिवस

Date : 04-Feb-2023

विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में कैंसर के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और गुणवत्ता देखभाल, स्क्रीनिंग, शुरुआती पहचान, उपचार और उपशामक देखभाल तक पहुंच में सुधार की दिशा में कार्रवाई को मजबूत करना है।

विश्व कैंसर दिवस की पहल यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा 2008 में लिखे गए विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्यों के प्रचार और समर्थन के लिए की गई थी। विश्व कैंसर दिवस लोगों को कैंसर की शुरुआती पहचान, उपचार और भावनात्मक समर्थन के माध्यम से बीमारी से लड़ने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करता है।

विश्व कैंसर दिवस 2023 थीम

विश्व कैंसर दिवस की इस वर्ष की थीम "क्लोज़ केयर गैप" अभियान के दूसरे वर्ष को चिन्हित करती है जो कैंसर देखभाल में असमानताओं को समझने और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक प्रगति करने के लिए कार्रवाई करने के बारे में है।

कैंसर क्या है?


मानव कोशिकाएँ विभाजित होती रहती हैं ताकि उनके नष्ट होने के बाद नई कोशिकाएं उनकी जगह लेती रहें और हमारा शरीर सामान्य रूप से कार्य कर सके। परंतु किन्हीं कारणों से जब यही कोशिकाएं अनियंत्रित हो कर विभाजित होना शुरू कर देती हैं तो यह कैंसर का रूप ले लेती हैं। कैंसर-कोशिकाएं बढ़ कर एक गांठ या ट्यूमर बन जाती हैं तथा शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं।
कैंसर दुनिया भर में बीमारी से होने वाली मौतों का एक बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है। अक्सर आधुनिक जीवन-शैली को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है परंतु नए वैज्ञानिक साक्ष्य इसे काफी पुराना बताते हैं। कैंसर का सबसे पुराना साक्ष्य दक्षिण अफ्रीका में एक मानव संबंधी जीव की 17 लाख पुरानी हड्डी में मिला है। इंसानों में इसका प्राचीनतम प्रमाण मिश्र सभ्यता के अवशेषों में मिली कई हड्डियों में पाया गया है। मिस्र सभ्यता के लोग कैंसर से परिचित थे और अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार इसका प्रमाण है- लगभग 3000 पुरानी पैपाइरस की छाल पर लिखी गई मिस्र की एक पांडुलिपि- एडविन स्मिथ पैपाइरस यह ट्रामा सर्जरी पर लिखी गयी एक पुस्तक का भाग थी जिसमें स्तन में होने वाले कुल 8 प्रकार के ट्यूमर का विवरण था। इन ट्यूमर को आग से दाग़ कर खत्म करने की विधि सुझाई गई थी जिसे कहा जाता है, साथ ही यह भी लिखा था कि इस स्थिति को ठीक करने का कोई कारगर इलाज नहीं है।

हालांकि इस पांडुलिपि में कैंसरशब्द का उपयोग नहीं किया गया था। कैंसरशब्द की उत्पत्ति कार्सिनोमा’  या कार्सिनोस’  से मानी जाती है जिसे महान यूनानी चिकित्सा शास्त्री हिप्पोक्रेट्स (460-370 BC) ने ट्यूमर के वर्णन में प्रयोग किया था। बाद में कार्सिनोमाया कार्सिनोसका लातिनी भाषा में अनुवाद करते समय रोम के चिकित्सक सेल्स (28 BC-50 AD) ने कैंसरशब्द का प्रयोग किया।
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वीं-18वीं सदी के काल में आधुनिक विज्ञान एक विषय के रूप में उभर कर आया। नए-नए यंत्रों जैसे माइक्रोस्कोप तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की गई शव-परीक्षाओं ने मानव शरीर के बारे में बहुत सी नई जानकारी दी। 1761 में पादुआ (इटली) के जियोवन्नी मोर्गग्नि ने कैंसर के अध्ययन की नींव रखी। स्कॉटलैंड के सर्जन जॉन हंटर ने बताया कि सर्जरी से कैंसर का इलाज संभव है। 1838 में जर्मनी के जोहान्स मुलर ने साबित किया कि कैंसर कोशिकाओं से बना है। 1860 के दशक में जर्मनी के एक दूसरे सर्जन कार्ल थियर्सच  ने प्रमाणित किया कि प्रभावित कोशिकाओं के फैलने से कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलता है।
कैंसर की जांच
यदि शुरुआती दौर में कैंसर का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। कैंसर की जांच के लिए सबसे पहले जॉर्ज पापनिकोलाउ ने पेप स्मियर को विकसित किया था जो स्त्रियों में होने वाले सर्वाइकल कैंसर को परखने में सक्षम था।
स्तन कैंसर की जांच के लिए 1976 में अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ने आधुनिक मैमोग्राफी को सुझाया था। आज हर प्रकार के कैंसर की जांच संभव है और इसके लिए बहुत से तरीके हैं, जैसे- LDCT (Low dose computed tomography), MRI, colonoscopy, sigmoidoscopy इत्यादि।


कैंसर का इलाज


सर्जरी यह कैंसर के सबसे पुराने इलाजों में से एक है। अत्याधुनिक तकनीक और एनेस्थीसिया के विकास के कारण आजकल सर्जरी ज़्यादा सटीक और प्रभावी है।
रेडियेशन थेरेपी रेडियेशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं पर अत्यधिक ऊर्जा वाली किरणों को डाल कर उन्हें नष्ट किया जाता है। इसमें X-rays, फोटॉन या किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा का प्रयोग किया जा सकता है।
कीमोथेरेपी कीमोथेरेपी में शरीर में उपस्थित कैंसर कोशिकाओं को दवाओं से खत्म किया जाता है। अनुसंधानों की मदद से वैज्ञानिकों ने कई ऐसी दवाओं की खोज की है जो कैंसर से लड़ने में सक्षम हैं।
कई और इलाज जैसे हार्मोन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी भी कारगर हैं।

भारत में कैंसर का इतिहास


भारत में प्राचीन काल में कैंसर के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं। परंतु कैंसर से मिलती-जुलती बीमारियों के इलाज यहाँ की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेद तथा सिद्ध की पांडुलिपियों में मिले हैं। भारत में कैंसर के केस 17वीं सदी से मिलते हैं। उसके बाद से ही कैंसर से ग्रसित लोगों के आंकड़े व्यवस्थित तौर पर रखे गए। 19वीं सदी तथा 20वीं सदी के शुरुआती दौर में भारत की जनसंख्या और जीवन-प्रत्याशा कम होने के कारण कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत कम था। 1960 के बाद से यह आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा और 21वीं सदी में तो भारत विश्व में कैंसर से होने वाली मौतों का एक बहुत बड़ा हिस्सेदार बन गया। आज हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाएं भले ही बेहतर हुई हैं परंतु बढ़ती जनसंख्या एवं लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी से इस बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है।

वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। डब्ल्यूएचओ के नए अनुमानों के अनुसार, भारत में प्रत्येक 10 भारतीयों में से एक को अपने पूरे जीवनकाल में कैंसर विकसित होने की संभावना है और 15 में से एक व्यक्ति की मौत कैंसर के कारण हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में भारत में कैंसर से संबंधित कुछ चौंकाने वाले आंकड़े भी सामने आए हैं:

भारत में प्रत्येक वर्ष 16 मिलियन कैंसर से संबंधित नए मामले दर्ज किए जाते हैं।

लगभग 7,84,800 लोगों की मौत कैंसर के कारण हो जाती है।

 

 

भारत में होने वाले छह मुख्य कैंसर में स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल है।

 

 

 

 

क्या है कैंसर?

 

कैंसर शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है। कैंसर तब होता है, जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। हमारा शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है। स्वस्थ कोशिकाएं शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती हैं। कोशिकाओं की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती या क्षतिग्रस्त होती है, ये कोशिकाएं मर भी जाती हैं। इनकी जगह नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। जब किसी को कैंसर होता है, तो कोशिकाएं इस तरह से अपना काम करना बंद कर देती हैं। पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं मरने की बजाय जीवित रह जाती हैं और जरूरत नहीं होने के बावजूद भी नई कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है। ये ही अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ट्यूमर होता है। अधिकतर कैंसर ट्यूमर्स होते हैं, लेकिन ब्लड कैंसर में ट्यूमर नहीं होता है। हालांकि, हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। आमतौर यह आस-पास के ऊतकों में फैलता है। असामान्य और क्षतिग्रस्त कैंसर कोशिकाएं शरीर के दूसरे भागों में पहुंचकर नए घातक मैलिग्नेंट ट्यूमर बनाने लगती हैं।

 

 

ब्रेस्ट कैंसर , ओवेरियन कैंसर ,स्किन कैंसर ,लंग कैंसर ,कोलोन कैंसर ,प्रोस्टेट कैंसर ,लिंफोमा  सहित सौ से अधिक प्रकार के कैंसर होते हैं। इन सभी कैंसर के लक्षण और जांच एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। कैंसर का इलाज मुख्यरूप से कीमोथेरेपी ,रेडिएशन और सर्जरी द्वारा की जाती है।

 

 

 

 

कैंसर के लक्षण

 

सभी कैंसर के लक्षण एक-दूसरे से अलग होते हैं। ऐसे में इसके संकेतों और लक्षणों के बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए, ताकि समय रहते लक्षणों को पहचानकर निदान और इलाज शुरू की जा सके। कैंसर के कुछ सामान् लक्षण इस प्रकार हैं:-

 

 

अचानक वजन कम होना : बिना कोई कारण नजर आए यदि आपका वजन तेजी से कम होने लगे, तो यह कैंसर के पहले संकेतों में से एक हो सकता है। अग्न्याशय ,पेट या फेफड़ों में होने वाले कैंसर से पीड़ित लोगों में वजन कम होने की समस्या होती है। हालांकि, अन्य प्रकार के कैंसर से पीड़ित लोगों में भी वजन कम हो सकता है।

 

 

 

 

अत्यधिक थकान: सारा दिन थकान महसूस होना भी कैंसर के महत्वपूर्ण लक्षणों में शामिल है। ल्यूकेमिया कोलन कैंसर होने पर थकान अधिक महसूस होती है।

 

 

 

 

गांठ: त्वचा में किसी भी तरह की गांठ या लम्प नजर आए, तो संभवत: यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। स्तन कैंसर, लिम्फ नोड्स, सॉफ्ट ऊतक और अंडकोष में होने वाले कैंसर में आमतौर पर गांठ होते हैं।

 

त्वचा में बदलाव: यदि आपकी त्वचा का रंग बदलकर पीला, काला या लाल हो गया है, तो ये कैंसर का संकेत हो सकता है। इसके साथ ही शरीर के किसी भी हिस्से पर हुए मोल्स या मस्से के रंग और आकार में बदलाव नजर आए, तो इसे नजरअंदाज ना करें। इस बात पर भी गौर करें कि कोई भी घाव ठीक होने में अधिक समय तो नहीं ले रहा है।

 

 

तेज दर्द: तीव्र दर्द आमतौर पर हड्डी या वृषण कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है, जबकि पीठ दर्द कोलोरेक्टल ,अग्नाशय या डिम्बग्रंथि के कैंसर के संकेत होते हैं। जिन लोगों को मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर होता है, उनमें तेज सिरदर्द होने की शिकायत रहती है।

 

बाउल मूवमेंट और ब्लैडर फंक्शन में बदलाव: कब्ज, दस्त, मल में खून आना कोलोरेक्टल कैंसर के संकेत हो सकते हैं। पेशाब करते समय दर्द के साथ खून आना ब्लैडर और प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

लिम्फ नोड्स में सूजन: तीन से चार सप्ताह तक ग्रंथियों में सूजन बने रहना ठीक नहीं। लिम्फ नोड्स के आकार में वृद्धि भी कैंसर का संकेत होती है।

एनीमिया : एनीमिया होने पर लाल रक्त कोशिका में भारी कमी जाती है। यह हेमटोलॉजिकल कैंसर का संकेत हो सकता है।

 

 

कैंसर के कारण

 

कैंसर क्यों होता है, इसके पीछे कोई ज्ञात कारण नहीं है। हालांकि, कुछ कारक कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। हमें इस घातक स्थिति से खुद को बचाने के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक कारकों के संपर्क में आने से बचना होगा। हालांकि, अनुवांशिक कारणों से होने वाले कैंसर को रोकना हमारे बस में नहीं है, जो कैंसर होने का एक प्रमुख जोखिम कारक है। बावजूद इसके, जिनके परिवार में कैंसर होने का इतिहास है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए। इससे कैंसर का पता जल्दी चलने से उपचार भी समय रहते शुरू किया जा सकता है। कुछ प्रमुख कारक, जो कैंसर होने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं:-

तंबाकू चबाना या सिगरेट पीना: इन चीजों में मौजूद निकोटीन के सेवन से शरीर के किसी भी अंग में कैंसर हो सकता है। तंबाकू और धूम्रपान करने से आमतौर पर मुंह का कैंसर , फेफड़ों का कैंसर ,एलिमेंटरी ट्रैक्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

जीन: परिवार में यदि कैंसर होने की हिस्ट्री है, तो इस खतरनाक बीमारी के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। कैंसर एक दोषपूर्ण जीन के कारण भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, स्तन कैंसर ,वंशानुगत गैर पॉलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर  आदि वंशानुगत हो सकते हैं।

पर्यावरण में कार्सिनोजेन्स का होना: हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उनमें कई ऐसे तत्व या पदार्थ मौजूद होते हैं, जो कैंसर होने की जोखिम को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। एज्बेस्टस बेंजीन आर्सेनिक निकल जैसे कम्पाउंड फेफड़े के कैंसर के अलावा कई अन्य कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाते हैं।

फूड्स: आजकल अधिकतर फल और सब्जियां कीटनाशकों से दूषित होते हैं, जिनके सेवन से शरीर पर अवांछनीय प्रभाव पड़ता है। दोबारा गर्म किए गए भोजन, अधिक पके हुए फूड्स, दोबारा गर्म किए गए तेल कार्सिनोजेनिक हो जाते हैं। कल-कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की वजह से प्रदूषित जल भी काफी नुकसानदायक होता है, क्योंकि इसमें भारी खनिजों की मात्रा अधिक होती है।

 

 

वायरस : हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर के लिए 50 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं, जबकि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस  99.9% मामलों में सर्वाइकल कैंसर होने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही, रेडिएशन और सन एक्सपोजर भी कैंसर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाते हैं।

 

कैंसर के स्टेज

अधिकांश कैंसर में ट्यूमर होता है और इन्हें पांच चरणों में विभाजित किया जा सकता है। कैंसर के ये सभी स्टेजेज दर्शाते हैं कि आपका कैंसर कितना गंभीर रूप ले चुका है।

स्टेज 0: यह दर्शाता है कि आपको कैंसर नहीं है। हालांकि, शरीर में कुछ असामान्य कोशिकाएं मौजूद होती है, जो कैंसर में विकसित हो सकती हैं।

पहला चरण: इस स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है और कैंसर कोशिकाएं केवल एक क्षेत्र में फैलती हैं।

दूसरा और तीसरा चरण : पहले और दूसरे स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो जाता है और कैंसर कोशिकाएं पास स्थित अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलने लगती हैं।

चौथा चरण : यह कैंसर का आखिरी और बेहद खतरनाक स्टेज होता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं। इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलना शुरू कर देता है।

 

 

कैंसर का निदान

 

शारीरिक लक्षणों और संकेतों को देखते हुए डॉक्टर कैंसर का पता लगाने की कोशिश करते हैं। आपकी मेडिकल हिस्ट्री को देखने के बाद शारीरिक परीक्षण की जाती है। टेस्ट के लिए मूत्र ,रक्त या मल  का सैंपल लिया जाता है। कैंसर की आशंका होने पर एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्रैफी ,एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और फाइबर-ऑप्टिक एंडोस्कोपी परीक्षणों से आपको गुजरना पड़ सकता है। इन सभी टूल्स के जरिए डॉक्टर आसानी से ट्यूमर के स्थान और आकार के बारे में जान पाते हैं। किसी को कैंसर है या नहीं इसका पता बायोप्सी के जरिए आसानी से चल जाता है। बायोप्सी में जांच के लिए ऊतक के नमूने लिए जाते हैं। यदि बायोप्सी के परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो कैंसर के प्रसार का पता लगाने के लिए आगे कई अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं।

कैंसर का इलाज

डॉक्टर कैंसर के प्रकार, स्थान या अवस्था के आधार पर इलाज का विकल्प  तय कर सकता है। आमतौर पर, कैंसर के उपचार में मुख्य रूप से सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट्स शामिल हैं।

सर्जरी

डॉक्टर सर्जरी के जरिए कैंसर के ट्यूमर, ऊतकों, लिम्फ नोड्स या किसी अन्य कैंसर प्रभावित क्षेत्र को हटाने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी डॉक्टर बीमारी की गंभीरता का पता लगाने के लिए भी सर्जरी करते हैं। यदि कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में नहीं फैला है, तो सर्जरी इलाज का सबसे अच्छा विकल्प है।

कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी को कई चरणों में किया जाता है। इस प्रक्रिया में ड्रग्स के जरिए कैंसर कोशिकाओं को खत्म की जाती है। हालांकि, उपचार का यह तरीका किसी-किसी के लिए काफी कष्टदायक होता है। इसके कई साइड एफेक्ट्स भी नजर आते हैं, जिसमें बालों का झड़ना मुख्य रूप से शामिल है। दवाओं को खाने के साथ ही नसो में इंजेक्शन के जरिए भी पहुंचाया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन कैंसर कोशिकाओं पर सीधा असर करता है और उन्हें दोबारा बढ़ने से रोकता है। इस प्रक्रिया में, उच्च ऊर्जा कणों या तरंगों का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की कोशिश की जाती है। कुछ लोगों को इलाज में सिर्फ रेडिएशन थेरेपी तो किसी-किसी को रेडिएशन थेरेपी के साथ सर्जरी और कीमोथेरेपी भी दी जाती है।

इम्यूनोथेरेपी

इम्यूनोथेरेपी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में सक्षम बनाती है।

हार्मोन थेरेपी

इस थेरेपी का उपयोग उन कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है, जो हार्मोन से प्रभावित होते हैं। हार्मोन थेरेपी से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर में काफी हद तक सुधार होता है।

 

 
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