दूध को एक संपूर्ण आहार माना जाता है, जो कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी और कई आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने, मांसपेशियों के विकास और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन हर किसी के लिए दूध पीना लाभकारी नहीं होता। कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में दूध का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
यहाँ बताया गया है कि किन लोगों को दूध पीने से परहेज करना चाहिए या उसका सेवन सीमित कर देना चाहिए:
1. लैक्टोज इनटॉलरेंस वाले लोग
अगर किसी व्यक्ति को लैक्टोज इनटॉलरेंस है, तो उनका शरीर दूध में मौजूद लैक्टोज (एक प्रकार की प्राकृतिक शुगर) को पचा नहीं पाता। इससे पेट फूलना, गैस, ऐंठन, दस्त या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
2. दूध से एलर्जी
कुछ लोगों को दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन (जैसे केसिन या वे प्रोटीन) से एलर्जी होती है। यह स्थिति लैक्टोज इनटॉलरेंस से अलग होती है और इसके लक्षण हो सकते हैं:
-
त्वचा पर चकत्ते या पित्ती (Hives)
-
चेहरे या गले में सूजन
-
सांस लेने में परेशानी
- उल्टी या एनाफिलेक्सिस (गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया)
3. एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्या
अगर किसी को अक्सर गैस, अपच या एसिड रिफ्लक्स की शिकायत रहती है, तो विशेषकर रात में दूध पीने से बचना चाहिए। दूध भारी होता है और इसे पचाने में समय लगता है, जिससे सुबह पेट में भारीपन, गैस या जलन महसूस हो सकती है।
4. लिवर की बीमारियाँ
जिन्हें फैटी लिवर, लिवर इंफ्लेमेशन (सूजन) या अन्य जिगर संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें दूध का सेवन सीमित करना चाहिए। दूध में मौजूद फैट और प्रोटीन लिवर पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं, जिससे सूजन या पाचन संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
5. हृदय रोग से पीड़ित लोग
अगर आपको दिल की बीमारी है, तो फुल-फैट दूध और उससे बने उत्पाद (जैसे मलाई, घी, चीज़) से परहेज करना चाहिए। इनमें मौजूद सैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है, जिससे ब्लॉकेज और हृदयाघात का खतरा भी बढ़ता है। लो-फैट या स्किम्ड दूध एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
हालांकि दूध पोषण का बेहतरीन स्रोत है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। यदि आप ऊपर बताई गई किसी भी स्वास्थ्य स्थिति से जूझ रहे हैं, तो दूध का सेवन करने से पहले डॉक्टर या किसी प्रमाणित आहार विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के निदान या उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक है।