केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने दुबई में भारत के दो प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों—एनएमडीसी लिमिटेड और मेकॉन लिमिटेड—के अंतरराष्ट्रीय कार्यालयों का उद्घाटन किया। यह पहल मध्य पूर्व में भारत की औद्योगिक उपस्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मंत्री कुमारस्वामी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल दुबई पहुंचा, जहां उन्होंने यूएई में कार्यरत प्रमुख भारतीय मूल की कंपनियों के सीईओ और प्रबंध निदेशकों से मुलाकात कर औद्योगिक सहयोग, निवेश और भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी को लेकर विचार-विमर्श किया।
एनएमडीसी लिमिटेड: वैश्विक खनिज रणनीति का नया केंद्र
भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी का नया दुबई कार्यालय अंतरराष्ट्रीय खनिज बाजारों में कंपनी की उपस्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। यह कार्यालय MENA क्षेत्र, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में खनिज संपत्तियों की निगरानी, नियामकीय परिवर्तनों पर विश्लेषण और रणनीतिक भागीदारी के अवसरों की पहचान का केंद्र बनेगा।
एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अमिताभ मुखर्जी ने कहा, “दुबई वैश्विक अवसरों के लिए प्रवेश द्वार है। यह विस्तार भारत की खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देगा।”
मेकॉन लिमिटेड: भारत की इंजीनियरिंग विशेषज्ञता का वैश्विक मंच
इस्पात मंत्रालय के तहत कार्यरत मेकॉन लिमिटेड का दुबई कार्यालय इंजीनियरिंग, तेल और गैस, इस्पात और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में भारत की कंसल्टिंग क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के उद्देश्य से खोला गया है। 800 से अधिक विशेषज्ञों की टीम के साथ, मेकॉन अब मध्य पूर्व में रणनीतिक परियोजनाओं में परामर्श और टर्नकी समाधान प्रदान करने के लिए तैयार है।
रणनीतिक दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाएं
एनएमडीसी और मेकॉन दोनों ही अपनी-अपनी वैश्विक विस्तार रणनीति के तहत खनिज अधिग्रहण, तकनीकी सहयोग, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में गहरी भागीदारी की दिशा में कार्य कर रहे हैं। एनएमडीसी 10 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खनिज संपत्तियों के अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रहा है।
समारोह में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
इस उद्घाटन समारोह में यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर, दुबई में महावाणिज्यदूत सतीश कुमार सिवन, इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव विनोद कुमार त्रिपाठी, साथ ही सेल और मेकॉन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह आयोजन भारत की "मेक इन इंडिया" और "ग्लोबल भारत" दृष्टि को आगे बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत संकेत देता है, जो औद्योगिक नवाचार और वैश्विक साझेदारी पर आधारित है।